बहुत से लोग पब्लिक टॉयलेट का यूज करने से कतराते हैं, खासतौर से महिलाएं. अगर मजबूरी में उन्हें पब्लिक टॉयलेट का यूज करना भी पड़े, तो उन्हें लगता है कि पब्लिक टॉयलेट में बैठकर पेशाब करने से वो बैक्टीरिया के संंपर्क में आ जाएंगी, जो यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यौन संचारित इंफेक्शन का कारण बन सकता है. कई बार मजबूरी में लेडीज पब्लिक टॉयलेट में उकड़ू बनकर पेशाब करती हैं. मतलब वे पूरी तरह से अपने नितंबों को शौचालय की सीट पर नहीं टिकाती हैं, ताकि पेशाब करते समय टॉयलेट सीट का संपर्क कम से कम हो. डॉ. तान्या उर्फ डॉ. क्यूटरस (Dr. Cuterus) इस मिथक का भंडाफोड़ करती हैं. उन्होंने पहले भी एक वीडियो साझा किया था कि कैसे शौचालय की सीटों से मूत्र पथ (urinary tract) के संक्रमण या यूटीआई होने की संभावना नहीं है.
डॉ. तान्या ने अपने अपने एक नए वीडियो में इस तथ्य को दोहराया, जिसमें उन्होंने इसका कारण भी बताया है कि पेशाब करते समय क्यों बैठना चाहिए, भले ही वह सार्वजनिक शौचालय में ही क्यों ना हो.
उन्होंने वेस्टर्न कमोड पर उकड़ू बनकर (बिना सीट पर बैठे) पेशाब करने वालों को आगाह करते हुए कहा कि इससे ‘पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स (Pelvic organ prolapse)’ नाम की तकलीफ हो सकती है.
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पेल्विक फ्लोर शरीर का वो हिस्सा है, जिसमें ब्लैडर, यूटरस और रेक्टम होते हैं. ये हिस्सा महिलाओं के शरीर के सबसे अहम अंगों को सहेज कर रखता है. उन्हें सही तौर पर काम करने में मदद करता है. पेल्विक फ्लोर का फलों की टोकरी के साथ तुलना करते हुए डॉक्टर ने कहा कि टोकरी का आधार मजबूत होना चाहिए, ताकि फल शामिल हो सकें.
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वीडियो में डॉ. तान्या कहती हैं, “जब आप पेशाब करते समय ठीक से नहीं बैठ रहे हैं, तो आप पेल्विक फ्लोर को कमजोर बना रहे हैं. यह महत्वपूर्ण है कि पेल्विक का फ्लोर मजबूत रहे अन्यथा ये अंग बाहर गिर सकते हैं.” उन्होंने इसकी चेतावनी दी. उन्होंने याद दिलाया कि चूंकि टॉयलेट सीट पर बैठकर पेशाब करने से यूटीआई नहीं हो सकता है, इसलिए अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आत्मविश्वास से बैठना सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा है.
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