देश की आबादी के प्रतिशत के आधार पर जो क्रिप्टो मालिक हैं, उस रैंकिंग में यूक्रेन (12.73 प्रतिशत) सबसे आगे है, रूस (11.91 प्रतिशत), केन्या (8.52 प्रतिशत), अमेरिका (8.31 प्रतिशत) जबकि भारत 7.3 प्रतिशत के साथ पांचवें स्थान पर है। मगर चूंकि भारत की आबादी यूक्रेन और रूस की तुलना में बहुत अधिक है, इसलिए जब हम क्रिप्टोकरेंसी मालिकों की कुल संख्या को देखते हैं तो दोनों देश दूर दूर तक भी दिखाई नहीं देते हैं। भारत में जहां 10.07 करोड़ क्रिप्टोकरेंसी मालिक हैं, वहीं अमेरिका के पास 2.74 करोड़ हैं जबकि रूस के पास 1.74 करोड़ क्रिप्टो ऑनर हैं।
रिपोर्ट में दुनियाभर के देशों में क्रिप्टोकरेंसी सर्च का डेटा भी दिया है। यानि कि किस देश में क्रिप्टोकरेंसी को कितना सर्च किया जाता है। इस मामले में अमेरिका सबसे आगे रहा। वहां पर क्रिप्टो सर्च सबसे ज्यादा है। उसके बाद भारत, यूके और कनाड़ा का नम्बर आता है।
हाल ही में Chainalysis ने अपना 2021 ग्लोबल क्रिप्टो एडॉप्शन इंडेक्स पब्लिश किया था जिसमें भारत 154 देशों की लिस्ट में दूसरे स्थान पर आया था।
Chainalysis की स्टडी में भारत में बड़े इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स के रोल का भी जिक्र किया गया है जो कि क्रिप्टो वॉल्यूम को बढ़ाने में एक खास भूमिका निभाते हैं। भारत में क्रिप्टो से जुड़े 42 प्रतिशत ट्रांजेक्शन होते हैं और भारत में इस इंडस्ट्री में 641 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिसमें से 59 प्रतिशत एक्टिविटी DeFi प्लैटफॉर्म्स पर हुई हैं।
हालांकि अभी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बनाए गए कानून की ओर देखें तो इस मामले में भारत के हाथ खाली हैं और क्रिप्टोकरेंसी की रेगुलेशन अभी दूर दूर तक नहीं दिखाई पड़ रही है। इसलिए भारत को अपनी क्षमता का अंदाजा नहीं है कि क्रिप्टो क्षेत्र में वह पावर हाऊस नेशन की भूमिका में भी खड़ा हो सकता है।
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