सिविल एविएशन मिनिस्ट्री की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि ड्रोन के कंपोनेंट्स का इम्पोर्ट करने के लिए कोई स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं होगी। कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के तहत आने वाले डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने ड्रोन के इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है, “ड्रोन्स के CBU (कम्प्लीटली बिल्ट अप) / CKD (कम्प्लीटली नॉक्ड डाउन) / SKD (सेनी नॉक्ड डाउन) तौर पर इम्पोर्ट को प्रतिबंधित किया गया है। इसमें R&D, डिफेंस और सिक्योरिटी के उद्देश्यों के लिए किए जाने वाले इम्पोर्ट की अनुमति होगी।”
केंद्र या राज्य सरकारों के संगठनों या इनकी ओर से मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों सरकार से मान्यता प्राप्त R&D संस्थानों और R&D के उद्देश्य के लिए ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स को ड्रोन्स का इम्पोर्ट करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, यह अनुमति DGFT की ओर से संबंधित मंत्रालयों के साथ विचार विमर्श करने के बाद दी जाएगी।
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने कहा है कि देश में ड्रोन्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए विदेश से ड्रोन्स के इम्पोर्ट को प्रतिबंधित किया गया है। मिनिस्ट्री ने पिछले वर्ष ड्रोन के लिए रूल्स में छूट दी थी। इसके बाद मिनिस्ट्री की ओर से ड्रोन एयरस्पेस मैप, PLI स्कीम और UTM पॉलिसी फ्रेमवर्क जारी किया गया था। पिछले महीने ड्रोन सर्टिफिकेशन स्कीम भी जारी की गई थी। हाल के वर्षों में ड्रोन्स का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही ड्रोन के इम्पोर्ट में भी बढ़ोतरी हुई है। ड्रोन्स के इम्पोर्ट पर बैन लगने के बाद देश में इनकी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने और इनके प्राइसेज घटने की संभावना है। ड्रोन बनाने वाली लोकल कंपनियों की संख्या कम है और इम्पोर्ट पर बैन लगने से इस सेगमेंट में बिजनेस तेजी से बढ़ सकता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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