Highlights
- विकेटकीपर बल्लेबाज डिकॉक ने पिछले हफ्ते पारिवारिक कारणों से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा
- हासिम अमला डिकॉक के संन्यास लेने से चिंतित हैं
- डिकॉक सीमित ओवरों के प्रारूप में खेलते रहेंगे
पूर्व स्टार बल्लेबाज हाशिम अमला का मानना है कि अनुभवी क्विंटन डिकॉक के टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास लेने से साउथ अफ्रीका का पहले से ही कमजोर बल्लेबाजी क्रम और अधिक कमजोर हो गया है। विकेटकीपर बल्लेबाज डिकॉक ने पिछले हफ्ते पारिवारिक कारणों से टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया था लेकिन यह 29 वर्षीय खिलाड़ी सीमित ओवरों के प्रारूप में खेलता रहेगा।
अमला डिकॉक के संन्यास लेने से चिंतित हैं क्योंकि यह उस समय लिया गया जब मेजबान टीम भारत के खिलाफ तीन मैचों की मौजूदा सीरीज का पहला टेस्ट गंवाकर पहले ही 0-1 से पीछे चल रही है। ‘स्पोर्ट24’ ने अमला के हवाले से कहा, ‘‘मध्य क्रम में हमारे दो सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज तेंबा (बावुमा) और क्विंटन हैं। अब क्विंटन ने टेस्ट क्रिकेट में नहीं खेलने का फैसला किया है तो इससे बल्लेबाजी क्रम और कमजोर होगा, इसके कारण तेंबा को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आना होगा- तीसरे या चौथे स्थान पर, जिससे कि वह बल्लेबाजी क्रम को उबारने की जगह मजबूत करने की भूमिका निभाए।’’
यह भी पढ़ें- Ashes 2021-22 : पिंक टेस्ट मैच से ठीक पहले कोरोना संक्रमित हुए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ग्लेन मैकग्रा
अमला का हालांकि मानना है कि दक्षिण अफ्रीका की टीम अब भी वापसी कर सकती है और भारत के खिलाफ कभी घरेलू श्रृंखला नहीं गंवाने के रिकॉर्ड को बरकरार रख सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर वापसी का रास्ता है लेकिन इसके लिए लंबे समय तक बेहद एकाग्रता और थोड़े भाग्य की जरूरत होगी।’’ अमला ने कहा, ‘‘(कप्तान) डीन (एल्गर) और ऐडन मार्कराम स्तरीय खिलाड़ी हैं जिनमें शतक जड़ने की भूख है और अगर वे लय हासिल करते हैं तो इससे निश्चित तौर पर युवा खिलाड़ियों को आत्मविश्वास मिलेगा।’’
सेंचुरियन के सुपरस्पोर्ट पार्क पर पहले टेस्ट में साउथ अफ्रकी टीम 197 और 191 रन ही बना सकी थी और उसे भारत के खिलाफ 113 रन से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। नौ हजार से अधिक टेस्ट रन बनाने वाले पूर्व कप्तान अमला ने कहा कि पहले टेस्ट का नतीजा ‘उचित’ था।
यह भी पढ़ें- बाबर आजम और सकलेन मुशताक ने की पाकिस्तानी टीम के लिए विदेशी कोच की मांग
अपने करियर के दौरान सेंचुरियन में वेस्टइंडीज (2014) और इंग्लैंड (2016) के खिलाफ दो दोहरे शतक जड़ने वाले अमला ने कहा, ‘‘यह उचित नतीजा था। सेंचुरियन कुख्यात है कि मैच आगे बढ़ने के साथ बल्लेबाजी और अधिक मुश्किल हो जाती है। इसलिए भारत ने जब टॉस जीता, बल्लेबाजी की और 300 से अधिक रन बनाए तो दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों के लिए चुनौती थी कि वे कम से कम इस स्कोर की बराबरी करें। 130 रन से पिछड़ने का उन्हें बेहद नुकसान हुआ और इससे अंतर पैदा हुआ।’’