Depositing Time In Bank will also Give Support In Old Age : बढ़ती उम्र में जब काम धंधे की वजह से बच्चे भी साथ नहीं रह पाते, तो ऐसे में घर में बुजुर्ग अकेले हो जाते हैं. उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है. कई बार तो मुश्किल समय में उन तक पहुंचने में देरी हो जाती है. विओन (WION) में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, इसी को देखते हुए स्विट्जरलैंड सरकार ने एक नई योजना शुरू की है. इस योजना का नाम है ‘टाइम बैंक (Time Bank)’. इस योजना के तहत आप आज किसी बुजुर्ग की सेवा करके अपने उस समय को टाइम बैंक में सेव कर सकते हैं, ताकि भविष्य में कभी आपको अपने पास किसी की जरूरत हो आपको भी कोई सेवा के लिए मिल सके. इसका मतलब ये हुआ कि अब बुढ़ापे में किसी के साथ को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. बल्कि आप अपने आज से ही कुछ समय निकालकर उस समय का बुढ़ापे में यूज कर सकते हैं. इसके तहत देश के लोग अपनी इच्छा से जरूरतमंद बुजुर्गों की सेहत खराब होने पर ध्यान रख सकते हैं या उनका अकेलापन दूर करने के लिए उनके साथ वक्त बिता सकते हैं. बुजुर्गों के साथ बिताया गया ये टाइम इन वॉलंटियर्स (volunteers) के सोशल सिक्योरिटी अकाउंट में ‘टाइम यूनिट’ के रूप में डिपोजिट हो जाता है. ऐसे में जब ये वॉलंटियर्स वृद्धावस्था में पहुंचेंगे और अगर कहीं ऐसा समय आया कि उन्हें भी किसी काम में मदद की जरूरत होगी, तो टाइम बैंक उनके लिए उस वॉलंटियर की व्यवस्था करेगा.
इस तरह से जितने समय किसी बुजुर्ग की सेवा करके उन्होंने टाइम बैंक में डिपोजिट किया होगा, उतने ही टाइम के लिए वे भी अपने लिए मदद पा सकेंगे. स्विट्जरलैंड की हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा लागू की गई ये स्कीम खासतौर पर अकेले रह रहे बुजुर्गों को ध्यान में रखकर तैयार की है.
भारत में मध्य प्रदेश में है टाइम बैंक
इस कॉन्सेप्ट की पूरी दुनिया में सराहना हो रही है. यही वजह है कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, न्यूजीलैंड, स्पेन और ग्रीस जैसे देश भी इस योजना को अपना चुके हैं. बताया जा रहा है कि सिंगापुर भी इसे जल्द लागू करने पर विचार कर रहा है. वहीं अगर हम भारत की बात करें तो, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की समिति ने साल 2018 में इस योजना को अपने देश में लागू करने की सिफारिश की थी. इसके बाद इस समिति के सुझावों के आधार पर ही साल 2019 में मध्य प्रदेश, टाइम बैंक खोलने वाला भारत का पहला राज्य बना.
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युवा भी जुड़ रहे हैं टाइम बैंक के साथ
दरअसल ये टाइम बैंक का जो कॉन्सेप्ट है, वो पूरी तरह से लेन-देन के मॉडल पर बेस्ड है. इसके तहत कई तरह की सर्विस दी जाती है जैसे आईटी सेवाएं, एडवाइज लेना, बच्चों की देखभाल, सैलून, बागवानी, घर की मरम्मत या कोई अन्य टाइम लेने वाला काम. इन कामों में लगने वाले समय को टाइम बैंक द्वारा ट्रैक किया जाता है. ये समय टाइम यूनिट के रूप में जमा होता जाता है.
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आपको जानकर हैरानी होगी कि टाइम बैंक के साथ केवल अधेड़ उम्र के लोग ही नहीं, बल्कि स्विस युवा भी बड़ी संख्या में जुड़ रहे हैं. उनका मानना है कि ढलती उम्र में उन्हें भी सहारे की जरूरत होगी, तब उनके द्वारा अर्जित किया गया ये टाइम ही काम आएगा.
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