Thursday, October 28, 2021
Homeभविष्यजानिए दिवाली से पूर्व मनाया जाने वाला त्यौहार धनतेरस क्यों मनाया जाता...

जानिए दिवाली से पूर्व मनाया जाने वाला त्यौहार धनतेरस क्यों मनाया जाता है और इससे जुड़ी खास बातें क्या हैं


dhanteras
– फोटो : google

दीपावली शरद ऋतु में हर वर्ष मनाए जाने वाला काफी प्रसिद्ध त्योहार है। दीपावली हिंदू धर्म का विशेष त्योहार माना जाता है। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में दीपावली एवं भारत में दीपावली सभी त्योहारों में से सबसे बड़ा त्योहार है एवं महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है और दीपावली को दीपों का त्यौहार कहते हैं। दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाई जाती है। पूरे भारत में दीपावली सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। दीपावली को एकता का त्यौहार भी कहा जाता है। इसे सिख बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी हर्षोल्लास से मनाते हैं।

कैसा होगा आपका भविष्य, पूछिए टैरो कार्ड रीडर से

दीपावली के उत्सव में पहले दिन धनतेरस का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार को धनतेरस इसलिए कहा जाता है क्योंकि मां लक्ष्मी एवं कुबेर की पूजा की जाती है और इस दिन बर्तन सोना चांदी वाहन अथवा कोई नई वस्तु वस्त्र खरीद कर अपने घर में लाते हैं और उसकी पूजा अर्चना करते हैं। 

धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। अर्थात यदि त्रयोदशी तिथि सूर्य उदय के साथ प्रारंभ होती है, तो धनतेरस मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 2 नवंबर मंगालवार को धनतेरस का पर्व मनाया जएगा।

 

धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं। उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं। हालाकि यह सब लोकवेद है, जिसका हमारे पवित्र ग्रंथो में कहीं भी वर्णन नहीं है। श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में इसे शाश्त्र विरुध्द साधना कहा गया है।

धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोककथा है। कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा। परन्तु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे, उसी समय उनमें से एक ने यम देवता से विनती की- हे यमराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले, हे दूत! अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है, इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं, सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीपमाला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।

शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 18 मिनट 22 सेकंड से रात्रि 8 बजकर 11 मिनट और 20 सेकंड तक रहेगा।

अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र रहेगा और गुरु शनि का दुर्लभ संयोग बनेगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक, गुरु पुष्य नक्षत्र पर ग्रहों की ऐसी स्थिति 677 साल बाद बन रही है। अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग इस घड़ी को अधिक शुभ बनाएंगे। 

 

ये भी पढ़ें-

जानिए अपने घर की बनावट का शुभ या अशुभ प्रभाव पूछिए वास्तु विशेषज्ञ से 

कहीं आप किसी ग्रह दशा से प्रभावित तो नहीं? पूछिए प्रसिद्ध ज्योतिषी से 

जीवन के संकटों से बचने हेतु जाने अपने ग्रहों की चाल, देखें जन्म कुंडली

 





Source link

Previous articleCID (सीआईडी) Season 1 – Episode 466 – Mystery Of A Missing Child – Full Episode
Next articleFINDING OUT TALKING ANGELA'S SECRETS! Is she dangerous? (Mystery Gaming)
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

जादुई मशरूम घर | Hindi Kahani | Bedtime Stories | Hindi Stories Hindi Kahaniya | Magic Land

इस तरह मुस्कुराना होता है इस खतरनाक बीमारी का पहला लक्षण, 4 घंटे के अंदर हॉस्पिटल ले जाना है जरूरी