छठ पूजा की शुरुवात हो चुकी है। चारों ओर छठ का माहौल देखने को मिल रहा हैं। बाजारों में भीड़ लगी हुई है और घरों में छठी मईया के गाने बजाए जा रहे हैं। चारों तरफ भक्ति ही भक्ति छाई हुई है। भगवान भास्कर के लिए किया जाने वाले इस छठ पूजा की शुरुवात 8 नवंबर को नहाय खाय के साथ हो गई है। नहाय खाय में पूजा की सामग्री को एक जगह एकत्रित किया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से लौकी की सब्जी और चने की दाल खाने की रीत होती है। अब 9 नवंबर,मंगलवार को खरना का दिन है। खरना की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को की जाती है।
ज्योतिशास्त्र में छठ महापर्व में खरना का विशेष महत्व बताया गया है। इतना ही नहीं खरना के प्रसाद को भी धर्माचार्यों और चिकित्सकों द्वारा काफी महत्व दिया गया है। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खरना के प्रसाद का महत्व और बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग खरना का प्रसाद ग्रहण करते हैं, उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि खरना का प्रसाद सबसे पहले भगवान को चढ़ाया जाता है और फिर लोगों में वितरित किया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे के घर खरना का प्रसाद खाने जाते हैं। खरना का प्रसाद ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं खरना के प्रसाद के बारे में कुछ खास बातें।
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