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क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय का जन्म मेयफ़ेयर, लन्दन की 17 ब्रूटन स्ट्रीट पर सन् 1926 की 21 अप्रैल को प्रातः 02 बजकर 40 मिनट पर हुआ था। स्रोतों से प्राप्त इस जानकारी के आधार पर बनाई गई जन्म कुंडली के अनुसार महारानी की चन्द्र राशि कर्क है। चंद्रमा स्वयं के आठवें घर में विराजित है, जहाँ मूलत्रिकोण का निर्माण हुआ है। एक दुर्लभ जन्म कुंडली के कारण इनका जन्म विश्व के उच्चतम राजशाही परिवार में अपने दादा जॉर्ज़ पंचम के शासनकाल में हुआ। राजा जॉर्ज़ पंचम के दूसरे पुत्र और महारानी के पिता प्रिन्स एल्बर्ट बाद में राजा ज़ॉर्ज षष्टम बने। स्कॉटिश अर्ल क्लाउडे बोव्स-ल्यॉन की छोटी बेटी और यॉर्क की डचेज़ एलिज़ाबेथ बाद में रानी एलिज़ाबेथ बनीं।
मंगल, गहन उच्च अवस्था में लग्न कुंडली के दूसरे घर में विराजमान है। किंग एडवर्ड अष्टम के पश्चात् एलिज़ाबेथ॥ के पिता राजा बने। तभी वे पिता के बाद ब्रिटेन के सिंहासन की दूसरे नम्बर की उत्तराधिकारी बन गई थीं। मकर राशि में शनि के घर में मंगल के तटस्थ सम्बंध से उनके कोई भाई नहीं था। इसलिए वे ही जेम्स षष्टम के बाद इंग्लैंड की महारानी बनीं।
कुंडली में गुरु के चौथे घर में बुध ग्रह है, जो कि एक तटस्थ सम्बंध है। मीन राशि में 11 डिग्री का बुध 49′ 39″ रेखांश पर रहते हुए नीच का है। इसके प्रभाव से महारानी एलिज़ाबेथ और उनकी बहन राजकुमारी मार्गरेट को माँ और शिक्षिका की देखरेख में निजी रूप में उनके महल में ही इतिहास, संगीत और भाषा आदि की शिक्षा दी गई। एलिज़ाबेथ को बचपन से ही समुद्री और पालतू जानवरों के प्रति अत्यधिक लगाव इसी का प्रभाव था। एक पप्पी को तो वे अपने हनीमून पर भी साथ ले गयी थीं।
उनकी लग्न कुंडली के पाँचवें घर में सूर्य, मेष राशि में पुल्लिंग रूप का चर अवस्था में है। सूर्य के ऊर्जावान प्रभाव के प्रतिफल में उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जनसेवाओं तथा सहायक प्रादेशिक सेवा में हिस्सा लेना प्रारम्भ किया। मंगल के घर में सूर्य तथा सूर्य पर मंगल की दृष्टि के प्रभाव से, सन् 1947 की 9 जुलाई को ग़ैर-राजशाही और विदेशी परिवार के फ़िलिप से उनके सगाई की घोषणा हुई। विवाह के पश्चात् राजकुमार फिलिप और उनके चार सन्तानें हुईं।
शनि के दूसरे घर में मंगल और गुरु के योग से सन् 1952 में 6 फरवरी को इनका राज्याभिषेक हुआ। जिसके साथ ही, एलिज़ाबेथ द्वितीय राष्ट्रकुल अध्यक्ष बनीं तथा यूनाइटेड किंगडम, पाकिस्तान अधिराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका एवं सीलोन जैसे स्वतन्त्र देशों के शासन की रानी बनीं। मंगल व गुरु का योग चूँकि मकर राशि में स्त्रीलिंग रूप में चर अवस्था में है, जिस पर चन्द्रमा व शनि दोनों की संयुक्त दृष्टि है। विश्व की सर्वाधिक उम्र वाली रानी महारानी एलिज़ाबेथ ॥, 2015 में परदादी महारानी विक्टोरिया के रिकोर्ड को तोड़कर ब्रिटेन के साम्राज्य पर सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली रानी बनीं।
2868 हीरे लगे हुए राजशाही ताज को पहनने वाली महारानी एलिज़ाबेथ ॥ का उच्च का सूर्य अपने मित्र मंगल के घर में है। भाग्येश के प्रभाव से इन्होंने ड्राइविंग तो सीखी परन्तु उनका ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बना। यहाँ तक की उनकी गाड़ी की कोई रजिस्टर्ड नम्बर प्लेट भी नहीं होती। ब्रिटेन के इतिहास में सर्वाधिक विदेशी यात्रा करने वाली महारानी एलिज़ाबेथ॥ के भाग्येश द्वारा बनाए गए प्रभुत्व के कारण उनके पास पासपोर्ट भी नहीं है और वे बिना पासपोर्ट के यात्रा करने हेतु क़ानूनी रूप से स्वतन्त्र हैं। नौवें घर पर शुक्र, मंगल और शनि की एक साथ दृष्टि है। अपनी लगभग पूरी ज़िंदगी एक ब्रिटिश साम्राज्ञी के रूप में बिताने वाली एलिज़ाबेथ॥ के शतायु के योग हैं। लेकिन, छठवें घर की ओर गुरु व शनि की दृष्टि के प्रभाव से उनकी मृत्यु के बाद पूरे देश की करेन्सी ही बदल दी जाएगी।