भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन के स्थान से भी ऊपर माना जाता है। यह कहावत आज भी प्रचलन में है कि ‘पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ इसलिए दीपावली पर्व के पहले धनतेरस पर्व को मनाया जाता है। जो भारतीय संस्कृति के अनुसार बिल्कुल अनुकूल है। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के अवतार लेने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
इस साल 2 नवंबर 2021 को धनतेरस का पर्व मनाया जायेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक रहेगा।
प्रदोष काल- शाम 05:39 से 20:14 बजे तक।
वृषभ काल- शाम 06:51 से 20:47 तक।
धनतेरस पर्व के दिन उत्तर दिशा का विशेष महत्व माना जाता है। घर में उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा मानी जाती है, क्योंकि उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर हैं, जो धन के देवता भी कहलाते हैं। मान्यता है कि उत्तर दिशा के वास्तु दोष मुक्त होने पर धन वैभव की वृद्धि होती है.
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