शुक्र मणि
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कहां से प्राप्त करें –
बात करें इसे कैसे प्राप्त करते हैं तो जो असली शुक्र मणि होती है वह समुद्र की गहराई में पाई जाती है। मछलियां इसे कोई जैव समझ कर खा जाती है और फिर यह उनके पेट में रह ती है। जब समुद्र में मछुआरे मछलियां पकड़ने आते हैं तो शुक्र मनी इन मछलियों के पेट से प्राप्त होती है। एक मछली के पेट से ऐसा भी नहीं है कि कई सारे शुक्र मणि प्राप्त हो। यह एक ही होता है जो कि डायमंड एवं ओपल से सस्ते दाम पर बाजार में मिल जाती है। शुक्र ग्रह का भाग्य रत्न डायमंड होता है जो कि काफी महंगा मिलता है और हर कोई इसे धारण नहीं कर सकता इसलिए शुक्र देव के आर्शीवाद से वंचित ना होने के लिए लोग शुक्र मणि को धारण करते हैं।
कब धारण कर सकते हैं –
किसी भी मणि को उसके स्वामी ग्रह से संबंध रखने वाले दिन पर धारण करता चाहिए। इससे उस मणि के स्वामी ग्रह की भी विशेष कृपा दृष्टि बनी रहती है और इसका प्रभाव भी दोगुना हो जाता है। मणि को धारण करने का शुभ दिन शुक्रवार है। इस दिन सुबह स्नान करें और मंदिर के समक्ष बैठ जाएं। फिर इस शुक्र मणि को किसी ने तांबे के बर्तन में रखें एवं उसे गंगाजल से शुद्ध कर ले। इसके बाद शुक्र ग्रह का मंत्र ‘ओम शुक्राय नमः’ का 108 बार जाप करें। इसके बाद धूप दिखाकर शुक्र मणि को एक लॉकेट के रूप में धारण कर सकते हैं।
किस धातु में ग्रहण करें –
मणि को धारण करने के लिए सबसे शुभ धातु चांदी को माना जाता है। हालांकि, यदि व्यक्ति चाहे तो सोना, अष्ट धातु या फिर पंचधातु में भी डाल कर धारण कर सकते हैं। आपको बता दें कि अगर व्यक्ति की याददाश्त कमजोर है या फिर क्रिएटिव सोचने में दिक्कत होती है तो उस स्थिति में भी आपके दिमाग के बंद ताले शुक्र मणि को धारण करने से खुल जाते हैं। इसे मानसिक और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी ग्रहण किया जाता है। यह मणि किसी तरह के रोग एवम् विकारों को भी दूर करने के लिए ग्रहण किया जाता है। यह मानसिक तनाव से रक्षा करने में भी मदद करता है और सभी नकारात्मक ऊर्जा को पर्यावरण में छोड़ देने का काम करता है।