Saraswati puja 2021
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सरस्वती पूजा अनुष्ठान तिथि नक्षत्र
सरस्वती आवाहन 11 अक्टूबर, सोमवार मूल नक्षत्र
सरस्वती पूजा 12 अक्टूबर, मंगलवार पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र
सरस्वती बालिदान 13 अक्टूबर, बुधवार उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र:
सरस्वती विसर्जन 14 अक्टूबर, गुरुवार श्रवण नक्षत्र
सरस्वती पूजा/आयुध पूजा 14 अक्टूबर, गुरुवार
सरस्वती पूजा उत्सव
सरस्वती पूजा पूरे भारत में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है. सरस्वती पूजा पूरे देश में स्कूल व कॉलेजों में धूमधाम से मनाई जाती है. दक्षिण भारत में सरस्वती पूजा को आयुध पूजा के रूप में भी मनाया जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सरस्वती को जल देवता भी माना जाता है और उनकी पवित्रता और समृद्ध शक्तियों के लिए उनकी पूजा की जाती है। यह भी एक ज्ञात तथ्य है कि देवी सरस्वती ने संस्कृत भाषा का आविष्कार किया था जिसे शास्त्रों, विद्वानों और ब्राह्मणों की भाषा के रूप में जाना जाता है.
विद्या आरंभ का शुभ समय
सरस्वती पूजा पूरे विश्व में हिंदुओं द्वारा मनाई जाती है. यह त्यौहार मुख्य रूप से उन विद्वानों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है जो ज्ञान प्राप्त करने के लिए समर्पण के साथ देवी सरस्वती की पूजा करते हैं. नवरात्रि के दसवें दिन, विद्यारंभम मनाया जाता है. एक ऐसा दिन जब बच्चों को आशीर्वाद दिया जाता है और पहली बार अक्षरों की दुनिया से परिचित कराया जाता है. सरस्वती पूजा के दिन, भक्त देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और देवी को प्रसाद चढ़ाते हैं. साथ ही कामदेव, प्रेम के स्वामी की भी पूजा की जाती है और ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है. इस दिन पितरों की पूजा करने का एक तरीका पितृ तर्पण भी किया जाता है. सरस्वती पूजा के शुभ दिन पर बच्चों को अपना पहला शब्द लिखने के लिए कहा जाता है.
इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है और लोग आमतौर पर पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और उसी रंग की मिठाई भी बनाते हैं. देवी को स्वयं पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं और उन्हें मिठाई, फल, रोली, मोली और पीले रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं. रात्रि में जागरण किर्तन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
नवीन कार्यों के आरंभ का शुभ दिन
इस समय को बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन पर कई प्रकार के मांगलिक कार्यों को किया जाता है. बहुत सी नई चीजों की शुरुआत करने के लिए इस दिन को विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन को विवाह के लिए भी शुभ माना गया है. माना जाता है की इस दिन विवाह होने पर वैवाहिक जीवन मजबूत होता है. इस दिन को रीती-रिवाजों के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन गुरु से ज्ञान लिया जाता है. शिक्षा ग्रहण करने का शुभारम्भ भी किया जाता है. पुस्तकों और वाद्य यंत्रों को पूजा की जाती है.
नवरात्रि स्पेशल – 7 दिन, 7 शक्तिपीठ में श्रृंगार पूजा : 7 – 13 अक्टूबर