जवानों के लिए लाइव गन, कैमरे से लैस हाईटेक जैकेट, इस तरह बचाएगी दुश्मनों से
मेरठ: उत्तर प्रदेश स्थित मेरठ के एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में एक ऐसा हाईटेक जैकेट तैयार किया गया है, जो जवानों को न केवल दुश्मनों की गोलियों से बचाएगा, बल्कि गोलियां भी चलाएगा. यह जैकेट हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस होगा, जो जवान के घायल होने पर कंट्रोल रूम को सूचित करेगा.
इसे बनारस के युवा वैज्ञानिक श्याम चौरसिया ने बनाया है. उन्होंने इसे महज 15 दिन में मेहनत करके इसे अपने देश के जवानों के लिए तैयार किया है. हाईटेक जैकेट दुश्मनों के हमले के बाद नुकसान होने पर भी एक्टिवेट रहता है.
वायरलेस टेक्नोलॉजी से लैस
श्याम ने बताया कि वायरलेस टेक्नोलॉजी से लैस इस (हाईटेक बुलेटप्रुफ जैकेट गन) में एक वायरलेस ट्रिगर भी हैं, जिसकी मदद से हमारी सेना के जवान बॉर्डर पर 10 से अधिक बंदूकों को रखकर कई किलोमीटर दूर से ही दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब दें सकेंगे.
ये हाइटेक जैकेट गोली दागने के साथ ही जवान के घायल होने पर लोकेशन के साथ कंट्रोल रूम को सूचित करेगा, जिससे समय पर घायल जवानों का उपचार शुरू हो और उनकी जान बचाई जा सके.
इंटरनेट से भी चलाई जा सकती है लाइव गन
श्याम चौरसिया ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से बॉर्डर पर तैनात जवान कभी अकेले नहीं होंगे, क्योंकि यह जैकेट जवानों को 24 घंटे बॉर्डर के कंट्रोल रूम से जोड़े रखेगी. इस जैकेट में 11, एम एम के 2 बैरल हैं, जिन्हें जैकेट के आगे या पीछे लगाया जा सकता है. यह लाइव कैमरे से लैस हैं, ताकि पीछे से हमला करने वाले दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब दिया जा सके. जैकेट में लगे लाइव गन को इंटरनेट से भी चलाया जा सकता है और अगर कोई दुश्मन किसी जवान पर चाकू से हमला करता है, तो भी यह जैकेट ऑटोमेटिक तरीके से उसे शूट कर देगा. बुलेटप्रुफ जैकेट में लगे गन की मारक छमता 200 मीटर है. इस जैकेट की मदद से किसी भी तरह के हथियार को संचालित किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: वैज्ञानिकों ने कैद की आकाशगंगा की सबसे अद्भुत तस्वीर, देखकर रह जाएंगे दंग
बनाने में लगा 15 दिनों का समय
इस पूरे सिस्टम को एमआईईटी इंजीनियरिंग कॉलेज के अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में तैयार किया गया है. इसकी सबसे अच्छी बात है कि इस जैकेट में लगाये गए सारे उपकरण भारतीय हैं. इसे बनाने में 15 दिनों का समय लगा है. पूरे प्रोटोटाइप प्रोजेक्ट्स को तैयार करने में 20 से 22 हजार रुपये का खर्च आया है. इसे कॉलेज में पड़े कबाड़ के साथ इन उपकरणों की मदद से तैयार किया गया है. इसमें 3.7 वोल्ट बैटरी, 9 वोल्ट बैटरी, सोलर प्लेट 6 वोल्ट, अलार्म, ट्रांसमीटर रिसिवर, जीपीएस, मेटल पाइप, रिले 5 वोल्ट, कैमरा, 10 एमएम की पाइप शामिल है.
नए आइडिया को दिया मौका
एमआईईटी के वाइस-चेयरमैन पुनीत अग्रवाल ने बताया, “हमारे कॉलेज में नीति आयोग और ए.सी.आई.सी. द्वारा स्थापित अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर साइंस लैब है, जहां हम ऐसे छात्रों का पूरा सहयोग करते हैं. हमारे आस-पास में ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं हैं जो अविष्कार करते हैं, उनके पास नये-नये आईडिया भी हैं, लेकिन उन्हें उचित सहयोग और मंच नहीं मिल पाता है, जिससे उनकी प्रतिभा दब जाती है. ऐसी प्रतिभाओं को हम खोज कर उन्हें एक मंच देंगे, जहां वे अपने आइडिया, अपनी सोच को एक प्रोटोटाइप में बदलकर उसका पेटेंट करा सकें.”
गोरखपुर क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि बहुत अच्छा इनोवेशन है. यह आगे चलकर जवानों के बहुत काम आ सकता है.