Wednesday, February 2, 2022
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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कुंडली विश्लेषण, जानिए भारत से चीन के मनमुटाव का ज्योतिषीय कारण


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– फोटो : google

चीन के सर्वोच्च नेता और राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीनी साम्यवादी पार्टी के महासचिव, केन्द्रीय सैनिक समिति के अध्यक्ष तथा केन्द्रीय पार्टी विद्यालय के अध्यक्ष भी हैं। विश्व के वर्ल्ड्स मोस्ट एडमायर्ड प्यूपिल की लिस्ट में जिनपिंग को तीसरे स्थान पर रखा गया है। तो आइए स्रोतों से प्राप्त जन्म तिथि व स्थान के अनुसार जानते हैं कि उनके जीवन के बारे में क्या है ज्योतिष की राय…

शी जिनपिंग का जन्म बीजिंग (चीन) में सन् 1953 की 15 जून को हुआ था। प्राप्त जानकारी के अनुसार बनाई गई जन्म कुंडली के आधार पर उनकी चन्द्र राशि कर्क है और लग्न स्वामी सूर्य है। उन्हें चीन में आमतौर पर “शी” कहकर बुलाया जाता है। चीन में पारिवारिक नाम पहले और व्यक्तिगत नाम उसके बाद लिखने की प्रथा है। इसलिए, उनका पारिवारिक नाम “शी” व्यक्तिगत नाम जिनपिंग (चिनफ़िंग) के पहले लिखा जाता है।

स्वयं के आठवें घर में बुध, मिथुन राशि में सूर्य तथा मंगल के साथ पुल्लिंग रूप में सामान्य अवस्था में है। बुध, सूर्य तथा मंगल के इस योग के कारण उनकी कुंडली में मूलत्रिकोण की संरचना हो रही है। इस पर शनि की दृष्टि के कारण पारिवारिक रूप से झोंग्नानहाई के निवासी शी के परिवार ने जीवन के प्रारम्भ में दुर्भाग्य तथा पीड़ा को सहा। लेकिन, मूलत्रिकोण के दुर्लभ प्रभाव से उनका झुकाव राजनीति की ओर बढ़ा। जिसके चलते स्नातक करने से पूर्व शी जिनपिंग एक आधिकारिक पार्टी के सदस्य बने। शाखा सचिव के पद पर कार्य करते हुए बीजिंग के सिंघुआ  विश्वविद्यालय से 1979 में रासायनिक इंजीनियरिंग से बी.ई. और फिर 2002 में एल.एल.डी. की शिक्षा प्राप्त की। स्नातक पूरी होते ही तत्कालीन उप-प्रधान मंत्री तथा राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के सचिव के पद पर तीन वर्षों तक काम किया।

छठें व पहले घर का मंगल, अपने शत्रु बुध के घर में 07डिग्री पर 37′ 33″ रेखांश पर स्थित है। मूलत्रिकोण के कारण मंगल के प्रभाव से शी जिनपिंग को राजनीति में अपनी तीखी बातों के लिए जाना जाता है। भ्रष्टाचार पर कड़े रुख़ तथा आर्थिक व्यवस्था के सुधार हेतु दिए गए वक्तव्यों से उन्हें खूब प्रसिद्धि मिली। त्रिकोण में सूर्य के प्रताप से शी जिनपिंग को चीनी साम्यवादी पार्टी के नेतृत्व की पाँचवी पीढ़ी का प्रधान माना जाता है। 2012 तक मूलत्रिकोण में बैठे तीनों ग्रहों ने गोचर कर उन्हें राजनैतिक लाभ पहुँचाया और सन् 2012 में ही 15 नवम्बर को चीनी साम्यवादी पार्टी ने उन्हें महासचिव नामित किया। सूर्य के मार्गी होने से शनि की दृष्टि का प्रभाव कम हुआ। मार्च 2013 में लग्न स्वामी सूर्य और बृहस्पति की प्रतिकृति ने मिलकर भाग्योदय किया और शी सन् 2013 की 14 मार्च को चीन के राष्ट्रपति बने।

शी जिनपिंग के फ़ैसले, उइघुर मुसलमानों को नजरबंद किया जाना समेत कई मानवाधिकारों का हनन होना और व्यक्तिगत पंथ का विकास होना। जिसे सेंसरशिप और बड़े पैमाने पर निगरानी में वृद्धि का वास्ता दिया गया। अपने मित्र ग्रह शनि के तीसरे घर में राहु के 12 डिग्री पर 06′ 10″ रेखांश पर स्थित होने का प्रभाव शी जिनपिंग को अधिकतर तानाशाह या सत्तावादी नेता के रूप में प्रसिद्ध करता है। चीन में शी जिनपिंग की थोपी गई लोकप्रियता का कारण उनकी कुंडली में स्वयं नौवें घर में चंद्रमा का केतु के साथ उच्च भाव में चर अवस्था में होना है। चंद्रमा के वृश्चिक राशि में होने के कारण 2021 में, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा तीसरे मौलिक प्रस्ताव के रूप में शी की विचारधारा को “चीनी संस्कृति का सार” माना गया।

गुरू के प्रभाव से शी का के लिंगलिंग से 1979 में विवाह तो हुआ परन्तु अपने परम शत्रु ग्रह शुक्र के घर में होने के कारण ज़्यादा दिन शी और के साथ नहीं रहे। शुक्र के राशि परिवर्तन के पश्चात् 1987 में शी ने पेंग लियुआन से दूसरा विवाह किया। जिससे उन्हें एक संतान भी है जिसका नाम शी मिंग्जे है।

भारत से मन ही मन बैर ठाने चीन के इस व्यवहार के पीछे भी शी जिनपिंग की कुंडली का एक ज्योतिषीय कारण माना जा सकता है। शी की कुंडली में राहु का मकर राशि में होना भारत से अंदरूनी विरोध की ज्योतिषीय वजह है। क्योंकि, पाप ग्रह राहु की ओर चन्द्रमा, मंगल और गुरू की एक साथ दृष्टि है। जिस कारण भारत विरोधियों की सहायता करना शी की लिस्ट में पहले स्थान पर है। सन् 2025 में, केतु के ग्रह परिवर्तन के पश्चात्, दक्षिण-पश्चिम में शी की सर्वाधिक ताकतवर नकारात्मक ऊर्जा के कारण बाहरी सहायता से वर्ष के अंत तक उनके ना चाहते हुए भी उन्हें पद से निर्वृत्त कर दिया जाएगा।





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