Omicron Updates: सार्स-कोव-2 जेनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम (इंसाकॉग) एक ऐसी संस्था है जिसके जरिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश में कोरोना वायरस के जीन की निगरानी करवाता है। इंसाकॉग की तरफ से कोरोना से जुड़े सभी पक्षों पर विस्तृत जानकारी के साथ साप्ताहिक बुलेटिन भी प्रकाशित किया जाता है. इस बार का ताजा अंक 23 जनवरी को प्रकाशित हुआ है, जिसमें ओमिक्रोन और इससे जुड़े संक्रमण पर आंखें खोलने वाली रिपोर्ट्स प्रकाशित की गई हैं.
इंसाकॉग के मुताबिक, जनवरी के महीने में ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों में लक्षण बहुत हल्के थे या मरीज एसिंप्टोमेटिक थे. यानी उनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे. इस तरह की स्थिति 10 जनवरी तक बनी हुई थी. लेकिन इसके बाद अस्पतालों में ओमिक्रोन संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई. इसका कारण लक्षणों का अधिक गंभीर होना और संक्रमण का बहुत अधिक बढ़ना रहा. इससे यह बात साबित होती है कि ओमिक्रोन को हल्का या कमजोर वायरस समझने की भूल हमारे लोगों पर भारी पड़ सकती है.
इंसाकॉग की देखरेख में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए कोविड नमूनों की सीक्वेसिंग होती है और फिर राज्य व जिला स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जाती है. ताजा बुलेटिन में इंसाकॉग की और से कहा गया है कि कोविड रोगियों की पहचान के लिए की जाने वाली जांच एस-जीन ड्रॉप आउट गलत रिपोर्ट दे सकती है. यानी रिपोर्ट फॉल्स नेगेटिव हो सकती है. व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होने पर भी जांच में यह सामने आ जाए यह जरूरी नहीं है. इसलिए सावधानी और सतर्कता को बनाए रखना जरूरी है. आरटीपीसीआर जांच जरूरी है और लक्षणों के आधार पर कोरोना का उचित इलाज लेना जरूरी है.
ऐसे लोग हो रहे हैं अधिक संक्रमित
इंसाकॉग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओमिक्रोन के कारण ही कोरोना के नए मामले तेजी से बढ़े हैं. खासतौर पर बीए.2 वैरिएंट तेजी से संक्रमण फैला रहा है. संक्रमित होने वाले मरीजों में उन लोगों की संख्या अधिक सामने आ रही है, जिन्होंने कोविड वैक्सीन नहीं लगवाई हैं या जिन्होंने दोनों डोज नहीं लगवाई हैं. इस रिपोर्ट की जो सबसे खास बात है, वो ये है कि इंसाकॉग के अनुसार, भारत में ओमिक्रोन कम्युनिटी स्प्रेडिंग के स्तर पर पहुंच चुका है. खासतौर पर दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में इसका तेजी से प्रसार हुआ है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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