Highlights
- आचार्य चाणक्य के मुताबिक युवा भी काफी दुखी रहता है।
- चाणक्य नीति कहती है कि मूर्खता और यौवन से भी अधिक कष्टकारी है दूसरे के घर में रहना।
भले ही आपको आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। इन विचारों को आप भले ही नजरअंदाज क्यों न कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज के विचार में आचार्य चाणक्य ने ऐसी स्थिति के बारे में बताया है जब इंसान सबसे ज्यादा कष्ट में होता है।
वास्तु टिप्स : घर में लगा मकड़ी का जाल मुसीबत की ओर करता है इशारा, तुरंत करें साफ
श्लोक – ‘कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्, कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम्‘
अपने इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है, लेकिन दूसरों के घर में रहना सबसे बड़ा कष्ट है।
मूर्खता
आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर इंसान चाहे तो वो आसानी से खुशी प्राप्त कर सकता है लेकिन जो लोग बेवकूफ यानी मूर्ख होते हैं, वे सही और गलत की समझ नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा किसी ना किसी परशानियों का सामना करना पड़ता है।
12 अप्रैल को राहु-केतु बदलेंगे अपनी राशि, मेष-मकर समेत इन राशियों पर पड़ेगा गहरा असर
यौवन
आचार्य चाणक्य के मुताबिक युवा भी काफी दुखी रहता है। दरअसल, ये एक ऐसी उम्र होती है जिसमें इंसान के भीतर एक साथ कई इच्छाएं उसके अंदर उत्पन्न होती हैं जिसमें से कुछ ही पूरी हो पाती हैं। ऐसे में व्यक्ति इतना जोशीला हो जाता है कि वह थोड़ा पाकर ही अपने अहंकार में हर एक चीज को भूल जाता है। जिसकी वजह से उसे आगे चलकर कष्टों का सामना करना पड़ता है।
दूसरों के घर में रहना
चाणक्य नीति कहती है कि मूर्खता और यौवन से भी अधिक कष्टकारी है दूसरे के घर में रहना। दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी दूसरों के घर में रहता है तो वह पूरी तरह से उसी पर निर्भर होता है साथ ही उसकी आजादी खत्म हो जाती है। ऐसे में जब इंसान अपने मन के मुताबिक काम नहीं कर पाता है तो वह भीतर से घुटने लगता है जोकि उसके लिए बेहद कष्टकारी हो जाता है।