significance of chandal yog in kundli
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- गुरु चांडाल योग राहु केतु और गुरु की युति से बनता है।
- गुरु ज्ञान धर्म और सात्विक का कारक है।
- राहु अनैतिक सम्बन्ध अनैतिक कार्य और अवैध व्यपार का कारक है।
क्यों कहते है चंडाल योग ?
गुरु राहु के सयोग की वजह से इसका प्रभाव जातक की कुंडली पर पड़ता है। राहु गुरु के प्रभाव को नष्ट करता है जिससे जातक गलत कामो में पड़ जाता है और उसका चरित्र खराब होने लग जाता है इसलिए इससे चांडाल योग कहा जाता है।
क्या है इस योग का प्रभाव ?
अगर गुरु बलवान हो
- व्यक्ति चरित्र वाला होता है।
- व्यक्ति धनवान होता है।
- व्यक्ति का मान सम्मान और प्रतिष्ठा बनी रहती है।
अगर गुरु कमजोर हो
- व्यक्ति के अंदर नकरात्मक ऊर्जा पैदा होती है।
- व्यक्ति बुरे कामो में पड़ जाता है जैसे नशा करना जुआ खेलना आदि।
- सुख शांति उसके जीवन से चली जाती है।
गुरु चांडाल योग का उपाय
ज्योतिष शास्त्र में गुरु चांडाल योग से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं। इन उपायों को अपना कर इस अशुभ योग से बचा जा सकता है।
- गुरु चांडाल योग के प्रभाव को कम करने के लिए माथे पर रोजाना केसर, हल्दी का तिलक लगाना चाहिए।
- गुरुवार को पीले वस्त्र पहनकर पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए।
- गुरुजनों का आर्शीवाद प्राप्त कर उनका आदर करना चाहिए।
- इसके अलावा राहु के मंत्रों का जाप करें। साथ ही बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- यदि संभव हो तो केले का पौधा लगाएं और उसकी नित्य पूजा करें।