हालांकि कंपनी ने कहा है कि इस साइबर हमले का कस्टमर्स की कारों या उनके पर्सनल डेटा की सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना है।
स्वीडन के गोटेबोर्ग से अपने कामकाज चलाने वाली वोल्वो 2030 तक अपनी पूरी रेंज को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए कैश पंप कर रही है।
कंपनी के एक प्रवक्ता ने AFP को बताया कि वोल्वो रैनसमवेयर की चपेट में नहीं आई है और अपने डेटा पर उसका पूरा कंट्रोल है। उन्होंने बताया कि एक “थर्ड पार्टी” ने इसके बारे में “हाल ही में” वोल्वो से संपर्क किया था।
वोल्वो साल 1999 में ट्रक मैन्युफैक्चरर वोल्वो ग्रुप से अलग हो गया था। 2010 में इसे चीन के बड़े ऑटो मेकर Geely ने खरीद लिया था।
Volvo अपनी गाड़ियों में बेहतरीन सिक्योरिटी फीचर्स देने के लिए जानी जाती है। बीते दिनों रिपोर्ट आई थी कि कंपनी कथित तौर पर एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है, जिसके चलते कार मालिक अपनी कार की विंडशील्ड को इंटरैक्टिव डिस्प्ले में बदल सकेंगे। स्वीडिश ऑटोमोबाइल दिग्गज ने इसके लिए इज़राइली स्टार्टअप, Spectralics के साथ साझेदारी की है। यह टेक्नोलॉजी कार की विंडशील्ड में हेड अप डिस्प्ले (HUD) प्रदान करेगी। HUD डिस्प्ले ड्राइवर को सभी जरूरी जानकारियां, जैसे कि स्पीड, नेविगेशन, समय आदि विंडशील्ड पर दिखाएगा।
यही नहीं, Volvo भारत में जल्द अपनी इलेक्ट्रिक कार XC40 Recharge लॉन्च करने वाली है। क्योंकि यह कंपनी की लग्ज़री इलेक्ट्रिक कार है, तो ऐसे में कीमत ज्यादा होने की संभावना है। इसमें 78kWh क्षमता की बैटरी दी गई है और कंपनी का दावा है कि यह इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) फुल चार्ज पर 400 किलोमीटर की रेंज दे सकती है। हालांकि सर्टिफाइड रेंज 335 किलोमीटर है।