Kharmas Start 16 December
Highlights
- 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहेंगे खरमास
- खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही
16 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 42 मिनट पर सूर्यदेव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे और अगले वर्ष यानि की 2022 के 14 जनवरी की दोपहर 2 बजकर 30 मिनट तक धनु राशि में ही गोचर करते रहेंगे। बता दें कि जब सूर्यदेव किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन सूर्यदेव की संक्रांति होती है। सूर्य की संक्रांति में पुण्यकाल का बहुत महत्व होता है।
सूर्यदेव के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही धनु खरमास भी आरंभ हो जाएगा। दरअसल जब सूर्यदेव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं और जब तक वहां पर स्थित रहते हैं, उस अवधि को खरमास का नाम दिया गया है। इस हिसाब से साल में दो बार खरमास आता है।
खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार आदि वर्जित होते हैं, जबकि इस दौरान सूर्य देव की उपासना करना बड़ा ही फलदायी माना गया है।
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खरमास की कथा
खरमास की पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यदेव अपने सात अश्वों यानि घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्माण्ड का भ्रमण करते है, जिससे दुनिया गतिमान रहती है। कहते है कि भ्रमण करते हुए घोड़ो को प्यास लगाती हैं और सूर्यदेव अपने घोड़ों को पानी पिलाने के लिए एक सरोवर पर रुकते है। लेकिन उन्हें ध्यान आता है कि उनके रुक जाने से सृष्टि अस्त-व्यस्त हो जाएगी तभी उन्हें सरोवर पर दो खर यानि गधे दिखाई देते है और सूर्यदेव अपने घोड़ों को आराम देकर गधों को रथ में जोड़ देते हैं, जिससे सूर्य की गति धीमी हो गयी। खर बड़ी मुश्किल से सूर्यदेव का रथ खींच पाते हैं। इस दौरान रथ की गति भी हल्की पड़ जाती है। सूर्यदेव बड़ी मुश्किल से इस मास का चक्कर पूरा कर पाते हैं। इसी बीच घोड़े को भी आराम मिल जाता है और फिर सूर्य देव रथ से घोड़े को जोड़ देते हैं और इस तरह एक बार फिर रथ अपनी गति में चलने लगता है। ऐसी मान्यता है कि हर साल खरमास के मौके पर सूर्य के घोड़े आराम करते हैं।
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खरमास के दिनों में न करें ये काम
- खरमास के माह में शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए। इसके साथ ही प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, दाल, तेल और दूषित अन्न को छोड़ देना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार सफेद धान, चावल, गेहूं, तिल, जौ, बथुआ, कंकडी, मंचावल, मूंग, शहतूत, मटर, पीपल, सौंठ, आंवला, सेंधा नमक, सुपारी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- खरमास में ताबे के बर्तन में रखा हुआ दूध और चमड़े में रखा हुआ पानी का सेवन नहीं करना चाहिए।
- खरमाह के पूरे 30 दिनों में आपको साधारण जीवन जीना चाहिए। इसके लिए जमीन पर सोना, पत्तल पर खाना और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए।
- कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रवेश, नए कारोबार का प्रारंभ आदि कार्य नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इससे शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।