लेमन ने कहा कि इंद्रधनुष बनने के लिए पानी की गोलाकार बूंदों की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि मंगल ग्रह पर पानी की पर्याप्त बूंदें नहीं हैं। मंगल पर मौजूद बूंदें पृथ्वी के बादलों में पाई जाने वाली बूंदों से 10 गुना छोटी हैं और इंद्रधनुष बनाने के लिए इन बूंदों को कम से कम 10 गुना बड़ा होना चाहिए। लेमोन ने कहा कि मंगल ग्रह के बादलों में बर्फ हो सकती है, लेकिन यह भी इंद्रधनुष बनाने के लिए किसी काम की नहीं।
तो फिर अप्रैल महीने की शुरुआत में पर्सेवरेंस (Perseverance) रोवर ने मंगल ग्रह के आकाश में क्या देखा था? सोशल मीडिया पर काफी अटकलों के बाद नासा ने बताया वह एक लेंस फ्लेयर था। लेमन ने भी वीडियो में इस घटना का जिक्र किया। नासा ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि मंगल पर कोई इंद्रधनुष नहीं है, लेकिन यहां पृथ्वी जैसी कई घटनाएं होती हैं। यानी मंगल पर बादल हैं। तूफान और हवाएं भी हैं।
मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना तलाशने के लिए नासा साल 1970 से वहां मशीनें और उपकरण भेज रहा है। हाल ही में नासा के मार्स रोवर ने ग्रह में ऐसा कुछ देखा है, जिसे किसी ने कभी नहीं देखा। मार्स रोवर ने मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर रीजन में सतह को खरोंच दिया। इसके बाद चट्टान के नीचे से कुछ ऐसा मिला, जो निश्चित रूप से पहले कभी नहीं देखा गया था। इन इमेजेस ने मंगल ग्रह पर जीवन के संभावित अस्तित्व के रहस्यों के बारे में उत्सुकता बढ़ा दी है। रोवर अब इन नमूनों को इकट्ठा करेगा, ताकि पृथ्वी पर वैज्ञानिक आगे की खोज कर सकें।
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