क्षेत्र में बिजली सप्लाई करने वाले Irkutskenergosbyt ने अपनी पोस्ट में बताया है कि इलाके में क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग से जुड़े 21 संदिग्ध इलेक्ट्रिकल इन्स्टॉलेशन की पहचान की गई थी। यहां माइनिंग से जुड़े उपकरणों को बालकनियों, रेजिडेंशियल एरिया और अपार्टमेंट के बेसमेंट में फिट किया गया था।
Bitcoin.com की रिपोर्ट के मुताबिक, इरकुत्स्क रीजन को ‘रूस की क्रिप्टो माइनिंग कैपिटल’ कहा जाता है। रूस के इस रीजन में देश के बाकी हिस्सों से बिजली छह गुना सस्ती है। सब्सिडी के साथ मिलने वाली बिजली का इस्तेमाल यहां के लोग क्रिप्टो माइनिंग में करते हैं। हालांकि यह जानकारी नहीं है कि इलाके में क्रिप्टो माइनिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
कैंब्रिज के रिसर्चर्स के अनुसार, बिटकॉइन माइनिंग में एक साल में लगभग 121.36 टेरावॉट-घंटे (TWh) पावर की खपत होती है। क्रिप्टो माइनिंग की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए भी गंभीर चिंता बना हुआ है।
पिछले साल एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 1 जनवरी 2016 से 30 जून 2018 के बीच चार प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में लगभग 13 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज हुई। पिछले साल चीन ने भी देश में सभी क्रिप्टो-रिलेटेड गतिविधियों पर बैन लगा दिया था। इस पर टेस्ला प्रमुख एलन मस्क ने कहा था कि इस फैसले की एक वजह चीन में बिजली की कमी हो सकती है।
नवंबर 2021 में टेक्सास की इलेक्ट्रिक रिलायबिलिटी काउंसिल (ERCOT) ने अनुमान लगाया था कि क्रिप्टो माइनिंग और डेटा सेंटर्स की वजह से इलेक्ट्रिसिटी लोड पांच गुना तक बढ़ सकता है।