Sunday, March 13, 2022
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क्रिप्टो से जुड़े रिस्क की जानकारी देने के लिए अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट का कैम्पेन


क्रिप्टोकरंसीज में इनवेस्टमेंट करने वालों को इससे जुड़े रिस्क की जानकारी देने के लिए अमेरिका का ट्रेजरी डिपार्टमेंट एक कैम्पेन शुरू कर रहा है। डिपार्टमेंट का फाइनेंशियल लिटरेसी एजुकेशन कमीशन इसके लिए मैटीरियल तैयार करेगा और लोगों को क्रिप्टो एसेट्स के काम करने के तरीके और इससे जुड़े रिस्क के बारे में बताएगा।

ट्रेजरी अंडरसेक्रेटरी Nellie Liang ने कहा, “क्रिप्टो एसेट्स खरीदने वालों की संख्या बढ़ रही है और हम इनमें से कुछ के काम करने के जटिल तरीके के बारे में जानते हैं। ऐसा लग रहा था कि इस बारे में जागरूकता बढ़ाना उपयोगी होगा।” रेगुलेटर्स को यह आशंका है कि क्रिप्टो एसेट्स की लोकप्रियता बढ़ने से फाइनेंशियल सिस्टम के लिए रिस्क हो सकता है। क्रिप्टोकरंसीज की वैल्यू पिछले वर्ष बढ़कर 3 लाख करोड़ डॉलर (लगभग 2,29,39,400 करोड़ रुपये) को पार कर गई थी। शिकागो यूनिवर्सिटी की रिसर्च में बताया गया है कि पिछले वर्ष अमेरिका के लगभग 14 प्रतिशत लोगों ने डिजिटल एसेट्स में इनवेस्टमेंट किया था। 

क्रिप्टो से जुड़ी कुछ फर्में भी सेलेब्रिटीज और एथलीट्स की मौजूदगी वाले मार्केटिंग कैम्पेन के जरिए इस सेगमेंट के बारे में जानकारी बढ़ाने में मदद कर रही हैं। ट्रेजरी डिपार्टमेंट की एजुकेशन यूनिट में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन सहित 20 एजेंसियां शामिल हैं। इसके प्रमुख Gary Gensler ने पिछले वर्ष कहा था कि क्रिप्टो इंडस्ट्री में स्कैम और परेशानियों की भरमार है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट क्रिप्टो से जुड़े रिस्क के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही क्रिप्टो के जरिए विदेश से पेमेंट्स को आसान बनाने और फाइनेंशियल इनक्लूजन को मजबूत करने पर भी विचार कर रहा है।

अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने डिजिटल एसेट्स को लेकर एग्जिक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसमें क्रिप्टो की निगरानी के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी फेडरल रिजर्व से इस पर विचार करने को कहा गया है कि उसे अपनी डिजिटल करंसी जारी करनी चाहिए या नहीं। इसमें ट्रेजरी डिपार्टमेंट और अन्य एजेंसियों के क्रिप्टोकरंसीज के फाइनेंशियल सिस्टम और सिक्योरिटी पर असर की स्टडी करना भी शामिल है। अमेरिका में क्रिप्टो में इनवेस्ट करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ने के साथ ही इससे जुड़े फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से रेगुलेटर्स इस सेगमेंट की निगरानी बढ़ाना चाहते हैं। कुछ अन्य देशों में भी इस सेगमेंट की स्क्रूटनी बढ़ाई गई है। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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