क्रिप्टोकरेंसी की पूरी कहनी ब्लॉकचेन से ही शुरू होती है। कहने का मतलब यह है कि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है और इनकी सभी जानकारियां, जिन्हें ब्लॉक कहते हैं, क्रिप्टोग्राफी के जरिए ब्लॉकचेन से जुड़ी होती है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain technology) वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी, NFT (नॉन-फंजिबल टोकन), और मेटावर्स (metaverse) को सपोर्ट करती है।
Blockchain Accelerator प्रोग्राम चार महीनों तक चलेगा और इसमें शुरुआती फेज़ के Web2 और Web3 स्टार्टअप और ब्लॉकचेन बिल्डर्स के आदेवन ही स्वीकार किए जाएंगे। इसके अलावा, चुने गए आठ स्टार्टअप के उद्यमियों को लाइटस्पीड (Lightspeed) और वुडस्टॉकफंड (WoodstockFund) जैसी कंपनियों से प्री-सीड और सीड फंडिंग के लिए $700,000 (लगभग 5.32 करोड़ रुपये) की फंडिंग हासिल करने का मौका भी मिलेगा। चुने हुए स्टार्टअप्स के सदस्यों को भी वर्कशॉप, मीट-अप्स, मेंटरशिप और कोचिंग में हिस्सा लेने का मौका दिया जाएगा।
यह प्रोग्राम ऐसे समय में शुरू हुआ है, जब भारत इस बात पर विचार कर रहा है कि क्रिप्टो मार्केट पर कौन से नियम लागू किए जाएं। सरकार पहले ही चिंता जता चुकी है कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल निवेशकों को क्विक इनकम (जल्दी पैसा बनाने) के दावों के साथ लुभाने और आतंकी गतिविधियों व मनी लॉन्ड्रिंग जैसे क्राइम को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।
हाल ही में, क्रिप्टो बाज़ार में एक और बड़ी खबर ने हड़कंप मचा दिया था। खबर आई थी कि भारत में संसद के एजेंडे में देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंससी को संचालित करने से रोकने के लिए एक विधेयक शामिल था। एजेंडा में यह भी कहा गया है कि सरकार भारत के लिए एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा लाना चाहती है। हालांकि, बताते चलें कि यह वही बिल है, जिसे बजट सत्र के लिए भी लिस्ट किया गया था, लेकिन उस समय इसके ऊपर चर्चा नहीं हुई थी।