सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) और डिजिटल एसेट की कमाई पर 30% टैक्स को लेकर Nirmala Sitharaman का कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को बड़ी मजबूती मिलेगी। हालांकि, कई निवेशकों का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी से उनकी कमाई इतनी नहीं होती, जितना उन्हें अब टैक्स देना पड़ेगा।
आइए यहां हम कुछ मज़ेदार मीम्स पर नज़र डालते हैं।
टैक्स को लेकर निर्मला सीतारमण का कहना है कि “वर्चुअल डिजिटल एसेट में लेनदेन में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इनके चलते वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लिए एक खास टैक्स सिस्टम जारी करना अनिवार्य हो गया है। मैं यह प्रदान करने का प्रस्ताव करती हूं कि किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांस्फर के जरिए होने वाली आय पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाएगा। ऐसी आय की गणना करते समय किसी भी व्यय या तत्वों के संबंध में कोई कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांस्फर से होने वाले नुकसान के लिए अधिग्रहण की लागत को किसी के खिलाफ सेट ऑफ नहीं किया जा सकता है।”
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इस बजट से भारत को अगले 25 साल की बुनियाद मिलेगी। अगले वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ 9.2% रहने की उम्मीद भी जताई गई है। इतना ही नहीं, मौजूदा साल में भी भारत की आर्थिक ग्रोथ 9.2% रहने का अनुमान लगाया गया है।
क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, डिज़िटल करेंसी अधिक स्थिर है और अधिकारियों द्वारा समर्थित है। क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन विकेंद्रीकृत (डिसेंट्रलाइज्ड) हैं, जो कि देश द्वारा जारी डिजिटल करेंसी में नहीं हो सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती है, इसलिए सेंट्रल बैंकों के पास अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई को कंट्रोल करने उनकी सबसे जरूरी कार्यक्षमताओं नहीं होगी।