Chainalysis के सबसे हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अवैध फंडिंग का बड़ा हिस्सा अभी भी पहले की तरह क्रिप्टोकरेंसी इकट्ठा करने वाली धोखाधड़ी पर केंद्रित है। इसकी तुलना में, 2019 की अपनी रिपोर्ट में Chainalysis ने कहा था कि क्रिप्टो स्पेस में लगभग 10.9 अरब डॉलर (लगभग 81,945 करोड़ रुपये) की लॉन्ड्रिंग की गई थी। रिकॉर्ड रखने वाली इस कंपनी ने यह भी घोषणा की थी कि पांच साल की अवधि में आंकड़े 30 अरब डॉलर (लगभग 2,25,570 करोड़ रुपये) से ऊपर पहुंच गए हैं।
कंपनी ने यह भी बताया है कि फिज़िकल सेक्टर में हो रही लॉन्ड्रिंग की तुलना में ये आंकड़े बहुत कम हैं। फर्म आगे कहती है कि दारू की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों से हर साल लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 1,50,36,360 करोड़ रुपये) की लॉन्ड्रिंग होता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह आंकड़ा एक अनुमान है, क्योंकि फिज़िकल लॉन्ड्रिंग में कैश के चलते निगरानी आसान होती है, लेकिन क्रिप्टो में इसका विपरीत होता है।
Chainalysis रिपोर्ट सेंट्रलाइज़्ड एक्सचेंज्स के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग में गिरावट की बात भी करती है, जो पूरे आंकड़े का सिर्फ 47 प्रतिशत है। 2018 के बाद यह पहला मौका है जब यह आंकड़ा इतना कम हुआ है। हालांकि, डीसेंट्रालाइज़्ड फाइनेंस (DeFi) सेक्टर 2020 में 2% से 17% पर पहुंच गया, जिसके बाद इसे लॉन्ड्रिंग के लिए ज्यादा इस्तेमाल होते देखा जा रहा है।
Chainalysis ने आगे बताया है कि इससे पता चलता है कि Lazarus ग्रुप जैसे हाई-ग्रेड हैकर अब DeFi में चले गए हैं, जबकि छोटे स्कैमर अभी भी सेंट्रलाइज़्ड एक्सचेंज्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। एसेट के आधार पर altcoin लिस्ट में सबसे ऊपर हैं, जिसमें लगभग 68 प्रतिशत लॉन्डर किए गए फंड विविध वॉलेट में भेजे गए हैं।