उन्होंने एक अन्य जवाब में बताया कि RBI अभी CBDC लॉन्च करने के लिए स्ट्रैटेजी बना रहा है। इससे नकदी पर निर्भरता कम होगी और ट्रांजैक्शन की कॉस्ट घटेगी। चौधरी ने कहा कि नोटों की प्रिटिंग में कमी आ रही है। 2019-20 में 4,378 करोड़ रुपये के नोट प्रिंट किए गए थे और यह आंकड़ा 2020-21 में घटकर 4,012 करोड़ रुपये हो गया। एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि देश की वित्तीय स्थिति में कई पहलू शामिल होते हैं।
चौधरी ने बताया, “मजबूत स्टॉक मार्केट के साथ ही बेहतर मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर किसी देश की वित्तीय स्थिति को आंकने का एक इंडिकेटर है। स्टॉक मार्केट मीडियम से लॉन्ग टर्म में इकोनॉमिक ग्रोथ का संकेत देते हैं क्योंकि स्टॉक प्राइसेज से मार्केट की उम्मीद और भविष्य में कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट का अनुमान मिलता है।” हालांकि, इसके साथ ही उनका कहना था कि शॉर्ट-टर्म में स्टॉक मार्केट का मूवमेंट इकोनॉमिक और राजनीतिक घटनाओं पर काफी हद तक निर्भर करता है।
क्रिप्टो सेगमेंट को रेगुलेट करने के बारे में हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वह इस बहस में नहीं पड़ना चाहती कि सरकार को इसे रेगुलेट करना चाहिए या इस पर बैन लगाना चाहिए। इस बारे में विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा। सीतारमण ने बताया था, “इस पर चर्चा की जा रही है। इस विषय में दिलचस्पी रखने वालों का इसमें हिस्सा लेने के लिए स्वागत है। विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी होने पर मिनिस्ट्री इस पर आगे बढ़ेगी।” देश में क्रिप्टो को लेकर संभावना पर सीतारमण ने कहा बहुत से लोग इसमें काफी संभावना देख रहे हैं और इस वजह से इससे रेवेन्यू भी मिल सकता है। देश में क्रिप्टोकरंसी पर बैन लगाने की कुछ संगठन मांग कर चुके हैं। इनमें स्वदेशी जागरण मंच भी शामिल है। इन संगठनों का कहना है कि क्रिप्टोकरंसीज से मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गैर कानूनी गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की आशंका है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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