Women Need More Sleep: नींद हर प्राणी की ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. ये मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना (Corona Virus) के चलते लॉकडाउन (Lockdown) ने व्यक्ति की दिनचर्या को काफी हद तक प्रभावित किया है. वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) प्रणाली से लोगों का अधिक से अधिक समय कम्प्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन पर बीतने लगा है. इससे न सिर्फ शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है, बल्कि इसने नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है. इसका ज्यादा प्रभाव महिलाओं पर देखने को मिला, खासकर कामकाजी महिलाओं पर. indianexpress.com में छपी रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद की जरूरत होती है.
2014 के एक अध्ययन, एक्सप्लोरिंग सेक्स एंड जेंडर डिफरेंस इन स्लीप हेल्थ: ए सोसाइटी फॉर विमेन हेल्थ रिसर्च रिपोर्ट, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुई रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों और महिलाओं में सर्वोत्तम नींद के घंटे अलग-अलग होते हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिलाओं में अनिद्रा की संभावना 40 प्रतिशत अधिक होती है, साथ ही पुरुषों को महिलाओं की तुलना में गहरी नींद आती है.
डॉ. सिबाशीष डे, चिकित्सा मामलों के प्रमुख, एशिया और लैटिन अमेरिका, रेसमेड, स्टडी से सहमत हैं. उन्होंने बताया कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता क्यों है, ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में खराब नींद के मामले अधिक होते हैं. इसके पीछे महिलाओं का मल्टीटास्किंग होना बताया गया है. डॉ डे ने indianexpress.com को बताया कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में थोड़ी अधिक नींद आती है, लगभग 11-13 मिनट अधिक, लेकिन पुरुषों की नींद अधिक गहरी होती है.
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पुरुषों की तुलना में महिला अपनी दिनचर्या में अधिक व्यस्त होती हैं. फिर चाहे बात वर्किंग वुमन की हो या हाउसवाइफ की. घर में सबसे पहले उठने से लेकर बच्चों की देखभाल बच्चों, पति और घर के अन्य सदस्यों का टिफिन और नाश्ता इसके अलावा घर में आए मेहमान की नवाजी से लेकर खुद के भी तमाम काम की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर ही होती है. पर्याप्त नींद की कमी उन पर शारीरिक और मानसिक रूप से हानिकारक प्रभाव डालती है जिससे उन्हें सिर दर्द और तनाव होने लगता है.
महिलाओं में नींद की कमी के क्या परिणाम होते हैं?
रिपोर्ट के अनुसार नींद की कमी से महिलाओं में उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह, दिल का दौरा, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्या का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा महिलाओं पर पीरियड्स, गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान भी होने वाले हार्मोनल बदलाव के गंभीर दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं. सात से आठ घंटे की नींद लेने वाली महिलाओं की तुलना में सात घंटे से कम नींद लेने वाली महिलाओं में गर्भधारण की संभावना 15% कम होती है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कितनी अधिक नींद की जरूरत होती है?
वैसे तो नींद की आवश्यकता हर व्यक्ति में अलग होती हैं, लेकिन स्टडी के अनुसार, महिलाओं को उनकी जीवनशैली, फिटनेस, अनेक जिम्मेदारियों और हार्मोनल परिवर्तन के कारण नींद की भरपाई के लिए पुरुषों की तुलना में 20-30 मिनट अतिरिक्त नींद की आवश्यकता होती है.
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गर्भवती महिलाओं के लिए
गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए पेट से डायफ्रॉम पर दबाव पड़ता है, जिससे पेशाब में वृद्धि होती है, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी), और रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (जिसमें लेटते समय पैरों को हिलाना) जैसी समस्या महिलाएं अनुभव करती हैं. तीसरी तिमाही में आराम से सोना मुश्किल हो जाता है. हालांकि, महिलाओं को अच्छी नींद लेने के तरीके खोजने की कोशिश करनी चाहिए. रिसर्च ने साबित कर दिया है कि अपर्याप्त नींद गर्भवती महिलाओं में प्रीक्लेम्पसिया, उच्च रक्तचाप, गर्भकालीन मधुमेह, जैसी समस्या होने की संभावना अधिक होती है. यह उन महिलाओं में देखने को मिलता है जो 24 घंटे में छह घंटे से कम नींद लेती हैं.
महिलाएं अपने स्लीप साइकल को कैसे मैनेज कर सकती हैं?
शोध ने साबित किया है कि रात में 1 घंटे की नींद की कमी से उबरने में हमारे शरीर को चार दिन लगते हैं. एक अच्छी नींद के लिए रात 10 बजे से सुबह 7 बजे के बीच सोने की कोशिश करें, और सुनिश्चित करें कि आप नियमित रूप से कम से कम सात घंटे की आरामदायक नींद लें. दिन के दौरान झपकी लेने से बचें, और इस दौरान कैफीन, शराब और निकोटीन के सेवन से बचें. रात में हेवी फूड से बचें और रात के खाने के बाद थोड़ी देर टहलें.
इसके अलावा, सोने से ठीक पहले ढेर सारा पानी पीने से बचें, ताकि बार-बार पेशाब के लिए उठना न पड़े. अपने बेडरूम में शांति और अंधेरा करके सोएं. सोने से पहले गर्म पानी से नहाना चाहिए इससे आपको रात में चैन की नींद आएगी. हालांकि, अगर आप गर्भवती हैं तो गर्म पानी से बचें. ऐसी एक्टिविटी करें जो आपके दिमाग को सोने से ठीक पहले रिलेक्स करने में मदद करें. जैसे ध्यान लगाना या किताब पढ़ना आदि.
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