Artificial sweeteners in food-drink raise risk of cancers : आजकल की लाइफस्टाइल में हम खान-पान को लेकर अक्सर लापरवाही बरतते हैं. अगर हम नोटिस करें तो हमें बाजार आधारित खाने की कई ऐसी बुरी चीजों की आदत लग चुकी है, जो हमारी सेहत के लिए काफी नुकासानदायक होती है. रोजाना के खान-पान में ही हम कई तरह से आर्टिफिशियल स्वीटनर (artificial sweetener) वाली चीजों का सेवन कर लेते हैं. जैसे, कोल्ड ड्रिंक, दही (योगर्ट) और चीज. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तरह का आर्टिफिशिय स्वीटनर हमारे शरीर में कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी बन सकता है? डेली मेल (Daily Mail) में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, कृत्रिम स्वीटनर (Artificial Sweetener) वाली चीजों का सेवन करने वालों में तकरीबन 13% तक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. अक्सर कोल्ड ड्रिंक का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमे मिठास मिलाई जाती है, लेकिन इससे कैंसर जनित रोग होने की आशंका अधिक हो जाती है. फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ (French National Institute for Health) के एक्सपर्ट्स ने ये स्टडी तकरीबन 1 लाख लोगों पर की है, जिनकी औसत उम्र 42 साल थी, इसमें एक तिहाई महिलाओं को शामिल किया गया था.
इस स्टडी के दौरान 8 साल तक एक्सपर्ट्स ने इनके (1 लाख लोगों) खान-पान की पड़ताल की है. सबसे ज्यादा खतरनाक स्वीटनर एस्पारटेम (aspartame) और एसलफेम-के (acesulfame-K) है जो कि इंग्लैंड में कोल्ड ड्रिंक, दही और चीज मिलाया जाता है.
स्टडी में क्या निकला
इस रिसर्च में सामने आया कि 37% लोग सब जानते हुए भी प्रतिदिन एक बार आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) का यूज करते हैं. इसका परिणाम ये रहा है कि स्टडी के अंत तक 3358 लोगों को कैंसर हो गया. इनकी उम्र औसतन 59 साल थी. इसमें सबसे ज्यादा 22% यानी 2032 लोगों को मोटापे का कैंसर हुआ. वहीं 982 लोग ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो गए. 403 लोग प्रोस्टैट कैंसर से पीड़ित हुए. एस्पारटेम और एसउलफेम-के में 200 गुना तक ज्यादा मिठास होती है.
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कैंसर रिसर्च यूके (Cancer Research UK) में सीनियर हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजर, फियोना ओसगुण (Fiona Osgun) के अनुसार कृत्रिम स्वीटनर (Artificial Sweetener) और कैंसर (Cancer) में कोई संबंध है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे इसका कारण बनते हैं या लोगों को उनसे बचने की जरूरत है. ‘हम जो खाते और पीते हैं, वह हमारे आहार के एक तत्व से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है – इसलिए अधिक फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने में लें. और लाल और संसाधित मांस (Red and processed meats) और हाई फैट, शुगर और नमक को कम करें.’
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कौन लेता है ज्यादा आर्टिफिशियल स्वीटनर?
लंदन के किंग्स कॉलेज (Kings College London) के प्रोफेसर टॉम सैंडर्स (Tom Sanders) कहते हैं कि जो महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं या जिनमें वजन बढ़ने की प्रवृति है, वे आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग ज्यादा करती हैं. और ये इस स्टडी के निष्कर्षों की वैधता को सीमित करता है क्योंकि सांख्यिकीय विश्लेषण (statistical analysis) में इसे पूरी तरह से नियंत्रित करना संभव नहीं है. लेकिन अच्छी दिनचर्या (good routine) से इस खतरे को कम किया जा सकता है.’
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