नई दिल्ली : बीते साल से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग कोविड से परेशान हैं. कई लोगों का कोरोना वायरस के कारण असमय निधन भी हो गया. क्या आप जानते हैं कोविड ने ना सिर्फ लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है बल्कि कान के अंदरूनी हिस्से को भी प्रभावित किया है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि हाल ही में आई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है.
क्या कहती है रिसर्च
रिसर्च के मुताबिक, शरीर का लगभग कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जिस पर कोरोना वायरस ने हमला नहीं किया. नए शोध के मुताबिक, COVID-19 आंतरिक कान को संक्रमित करने, सुनने और संतुलन को प्रभावित करने में सक्षम हो सकता है.
रिसर्च के मुताबिक, सुनने में दिक्कत होना, कानों में घंटी बजना, चक्कर आना और संतुलन की समस्याओं जैसे लक्षणों वाले COVID-19 रोगियों की रिपोर्ट मिली है.
कैसे की गई रिसर्च
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और मैसाचुसेट्स आई एंड ईयर के शोधकर्ताओं ने मनुष्य के आंतरिक कान की जांच के लिए एडल्ट मानव आंतरिक कान के टिश्यूज के साथ सेलुलर मॉडल का उपयोग किया और उन्हें वायरस के संपर्क में लाए.
रिसर्च के नतीजे
रिसर्च के परिणाम बताते हैं कि SARS-CoV-2 वायरस आंतरिक कान, विशेष रूप से कानों की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं जो सुनने और संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं. कुछ हद तक, कोरोना वायरस उन कोशिकाओं को भी संक्रमित कर सकता है, जो न्यूरॉन्स को इन्सुलेट करती हैं.
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क्या कहते हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि कानों में कोरोना वायरस यूस्टेशियन ट्यूब (Eustachian tube), जो नाक को मध्य कान से जोड़ती है, को अधिक प्रभावित करता है.
शोधकर्ता स्टैंकोविक ने कहा कि कोविड से जब रोगियों को अधिक जानलेवा जटिलताएं हो रही थीं, तो वे इस बात पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे थे कि उनकी सुनने की क्षमता कम हुई या कानों में घंटी बज रही है या नहीं.
gulfbend.org में प्रकाशित शोध इस बात के पुख्ता सबूत पेश करता है कि कोरोना वायरस सुनने और संतुलन की समस्या पैदा कर सकता है, लेकिन COVID-19 रोगियों का वास्तविक प्रतिशत जिन्होंने कान की समस्याओं का अनुभव किया है, अज्ञात है.
रिसर्च में कहा गया कि COVID जोखिम वाले लोगों में ऑडियोवेस्टिबुलर (audiovestibular s) लक्षणों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. ऐसे में आपको कानों के लिए होने वाले टेस्ट जैसे ऑडियोमेट्री टेस्ट जरूर करवाना चाहिए.
ऑडियोमेट्री टेस्ट सुनने की क्षमता को जानने के लिए किया जाने वाला हियरिंग टेस्ट है.
हालांकि शोधकर्ताओं का अगला कदम SARS-CoV-2 और अन्य वायरस के कारण होने वाले आंतरिक कान के संक्रमण के संभावित उपचार का परीक्षण करना है.
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