इसे तुलनातमक तरीके से समझाने के लिए इस रिपोर्ट ने चीन और अमेरिका से दर्ज किए गए कार्बन योगदान की मात्रा का इस्तेमाल किया है, जिसके मुताबित, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन जैसे बड़े औद्योगिक देशों ने 2016 में क्रमशः 5,830Mt और 11,580Mt CO2 उत्सर्जित किया।”
स्टडी ऐसे समय में समाने आई है, जब भारत, रूस और अमेरिका जैसे देश रेगुलेटरी स्ट्रक्टर को लाने के लिए क्रिप्टो सेक्टर का हर संभव तरीके से विश्लेषण कर रहे हैं।
Bitcoin को माइन करने लिए जटिल प्रूफ-ऑफ-वर्क एल्गोरिदम को एडवांस कंप्यूटरों पर हल करने की आवश्यकता होती है। इन मशीनों को हमेशा इलेक्ट्रिकल सोर्स में प्लग करना होता है, जिसके कारण माइनिंग प्रोसेस में बहुत अधिक बिजली की खपत होती है। बिटकॉइन माइनिंग के इस प्रोसेस को एक्सपर्ट्स लंबे समय से भारी कार्बन उत्सर्जक से जोड़ते आए हैं।
बिटकॉइन माइनिंग एक्टिविटी का लगभग 60 प्रतिशत फॉसिल फ्यूल पर चलता है।
CoinShares की स्टडी ने आगे तर्क दिया है कि कार्बन उत्सर्जन के लिए क्रिप्टो माइनिंग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, लेकिन पारंपरिक मूल्यवान प्रोडक्ट्स के प्रोडक्शन में उत्पन्न CO2 जांच के दायरे में नहीं आ रहा है।
फिज़िकल (फिएट) करेंसी की मिंटिंग और प्रिंटिंग के कारण होने वाले उत्सर्जन का अनुमान लगभग 8Mt प्रति वर्ष आता है और गोल्ड का उद्योग सालाना 100 से लेकर 145Mt CO2 उत्सर्जन उत्पन्न करता है।
इस रिपोर्ट के नतीजे काफी हद तक अमेरिकी व्यवसायी माइकल सैलर (Michael Saylor) के विचारों से मिलते-जुलते हैं, जो बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म MicroStrategy के मालिक हैं।
पिछले महीने बिटकॉइन माइनिंग काउंसिल (BMC) की एक ब्रीफिंग में बोलते हुए सैलर ने BTC माइनिंग के कार्बन उत्सर्जन को “राउंडिंग एरर” कहा था।
Yesterday I was pleased to host a meeting between @elonmusk & the leading Bitcoin miners in North America. The miners have agreed to form the Bitcoin Mining Council to promote energy usage transparency & accelerate sustainability initiatives worldwide. https://t.co/EHgLZ9zvDK
— Michael Saylor⚡️ (@saylor) May 24, 2021
उन्होंने एलन मस्क (Elon Musk) के खिलाफ Bitcoin का भी बचाव किया था। बता दें, मस्क लंबे समय से पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए बिटकॉइन की आलोचना करते आए हैं।