Tuesday, April 5, 2022
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कुर्सी पर घंटों बैठकर काम करने से बिगड़ सकता है बॉडी पोस्चर, 20 साल बाद दिखने लगेंगे कुछ ऐसे…


Side Effects of Poor Body Posture: आजकल लोगों की जीवनशैली अब पहले जैसी नहीं रही है. पहले लोग शारीरिक रूप से बहुत एक्टिव हुआ करते थे, लेकिन अब मोबाइल, लैपटॉप के अधिक इस्तेमाल, बदलते वर्क कल्चर के कारण लोग घंटों एक ही जगह बैठे रहते हैं. सारा दिन कुर्सी या बेड पर बैठकर काम करना, हाथों में मोबाइल लिए सिर झुकाकर टेक्स्ट करना, रात में सही तरीके से बिस्तर पर न सोने जैसी आदतों से बॉडी पोश्चर (Body Posture) पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. यदि व्यक्ति बॉडी पोस्चर से संबंधित इन गलत आदतों को जल्द से जल्द नहीं छोड़ता, तो आगे चलकर शारीरिक मुद्रा  और हड्डियों से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं.

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दसन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, यूके की पोश्चर एक्सपर्ट इवाना डेनियल (Ivana Daniell) ने वहां रह रहे लोगों के बैठने, सोने, दिन भर मोबाइल के इस्तेमाल की आदतों को लेकर उन्हें आगाह करते हुए कहा है कि यदि ऐसी आदतें बरकरार रहीं, तो आने वाले 20-30 सालों में उनका बॉडी पोश्चर बुरी तरह से प्रभावित होगा. इस बात को इवाना ने सीजीआई कैरेक्टर पॉली नामक ग्राफिक इमेज की मदद से समझाने की कोशिश की है. उन्होंने पॉली को यूके बेस्ड मैट्रेस स्पेशलिस्ट्स टाइम4स्लीप के साथ मिलकर क्रिएट किया है. टाइम4स्लीप के अनुसार, ब्रिटेन के 70 प्रतिशत लोग पीठ दर्द और 67 प्रतिशत गर्दन के दर्द के साथ जागते हैं. बैठने, खड़े होने और सोने का तरीका सही पोश्चर के लिए काफी मायने रखते हैं.

खराब पोश्चर के कारण कंधों से संबंधित समस्या सैड शोल्डर (sad shoulder) हो सकती है. Credit: Time4sleep

रीढ़ से संबंधित समस्या काइफोसिस का खतरा
लंबे समय तक कुर्सी पर खराब पोश्चर में बैठे रहने से रीढ़ के ऊपरी भाग, जिसे काइफोसिस (Kyphosis) कहते हैं में समस्या हो सकती है. इसमें ऊपरी रीढ़ की वक्रता (curvature) बढ़ जाती है, जो आमतौर पर उन लोगों में पाया जाता है, जो घंटों डेस्क जॉब के दौरान बैठे रहते हैं. काइफोसिस, झुककर, कुर्सियों पर पीछे झुककर और भारी बैग उठाने के कारण हो सकता है.

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मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से होता है टेक्स्ट नेक
टेक्स्ट नेक (Text neck) तब होता है, जब आप बहुत ज्यादा मोबाइल, स्मार्ट गैजेट्स का यूज करते हैं. मोबाइल के इस्तेमाल के दौरान सिर और गर्दन लगातार आगे की तरफ झुकी होती है, जो इन हिस्सों में स्ट्रेस इंजरी, गर्दन में दर्द का कारण बनता है. गर्दन को खराब स्थिति में रखने से सर्वाइकल स्पाइन कम्प्रेशन के होने का जोखिम रहता है, साथ ही संकुचित रीढ़ की वजह से हाथों, उंगलियों में झुनझुनी या दर्द हो सकता है.

कंधों की समस्या से हो सकते हैं परेशान
खराब पोश्चर के कारण कंधों से संबंधित समस्या सैड शोल्डर (sad shoulder) हो सकती है. कुछ लोगों की आदत होती है, वे आगे की तरफ कंधों को झुककर काम करते हैं, इससे पीठ छाती के हिस्से को ठीक से नहीं फैलने देती, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. यह खराब मुद्रा दर्द, सूजन और सिरदर्द भी पैदा कर सकता है.

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दिनभर बैठे रहने से विटामिन डी हो सकता है कम
हीरानंदानी हॉस्पिटल (वाशी- फोर्टिस नेटवर्क हॉस्पिटल) के सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक सर्जरी डॉ. मनीष सोनटक्के कहते हैं कि जब आप खड़े रहते हैं, तो आपके शरीर का वजन पहले एड़ी, घुटने, हिप्स और फिर कमर पर आता है, लेकिन जब आप लगातार बैठे रहते हैं, तो शरीर का सारा प्रेशर कमर पर ही आता है. साथ ही पैर नीचे घंटों लटके रहने के कारण पूरी मसल्स वेस्ट हो जाती है. जो लोग ज्यादा देर तक बैठकर काम करते हैं, उनमें स्पाइन, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या अधिक होती है. कुर्सी पर अधिकतर लोग नीचे की तरफ सरक कर बैठते हैं, इससे भी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. पैरों में झनझनाहट, चलने-फिरने में पैरों का सुन्न पड़ जाना, डिस्क संबंधित समस्याएं होने लगती हैं.

डॉ. मनीष सोनटक्के आगे बताते हैं कि दिन भर एक ही जगह बैठे रहने से धूप का एक्सपोजर भी नहीं होता है, जिससे विटामिन डी, विटामिन बी12 कम होने लगता है. इससे मांसपेशियां अधिक कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में बॉडी पोस्चर को सुधारने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें-

  • डाइट में मांस-मछलियों को शामिल करें.
  • हरी पत्तेदार सब्जियां खूब खाएं.
  • मोबाइल, कंप्यूटर की स्क्रीन को आंखों के लेवल पर लाकर यूज करें.
  • मोबाइल को कभी भी नीचे की तरफ झुकाकर ना देखें.
  • स्पाइन की ताकत बढ़ाने के लिए उल्टे झुकने वाले योगासन, एक्सरसाइज करें.
  • नौकासन, भुजंगासन, लेग एक्सटेंशन का नियमित अभ्यास करें.
  • विटामिन डी का सप्लीमेंट डॉक्टर की सलाह पर जरूर लें.
  • ऑफिस में काम करते हैं, तो बीच-बीच में 5-10 मिनट के लिए ब्रेक लेकर चलें-फिरें.
  • रात में पीठ के बल सोएं ताकि स्पाइन में कर्व ना आने पाए.
  • अपने मैट्रेस को भी प्रत्येक 7 से 10 साल में बदलते रहें.

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