Cancer cases in children are not genetic : बच्चों की बीमारियों को लेकर पेरेंट्स वैसे भी काफी फिक्रमंद रहते हैं, लेकिन कई बार ये देखने में आया है कि बीमारी कुछ होती है और पेरेंट्स इलाज कुछ और ही करा रहे होते हैं. फिर बाद में जब असल बीमारी का पता चलता है तो काफी देर हो चुकी होती है. जैसा की हम सभी जानते हैं कि कैंसर (Cancer) ऐसी ही एक घातक बीमारी है, जिसका समय रहते इलाज करवाना जरूरी है. कैंसर के मामले केवल वयस्कों (Adults) में ही नहीं, बच्चों में भी पाए जाते हैं. जानकार बताते हैं कि बच्चों में कई तरह के कैंसर पाए जाते हैं, लेकिन सबसे कॉमन ब्लड कैंसर है. तकरीबन 50 से 60 फ़ीसदी मरीज ब्लड कैंसर के ही होते हैं और इसमें ठीक होने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं, अगर सही समय पर इलाज लिया जाए. दैनिक भास्कर अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट भी कुछ इस तरफ ही इशारा कर रही है. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर के जितने मामले आ रहे हैं, उनमें से 5 प्रतिशत केस बच्चों के हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर पेरेंट्स बच्चों में कैंसर के लक्षणों को पहचान लें और समय रहते इलाज करवा लें तो उनको बचाया जा सकता है.
बच्चों और बड़ों में होने वाले कैंसर अलग-अलग
बच्चों में होने वाले कैंसर से जुड़े भ्रम और तथ्य के बारे में राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर (Rajiv Gandhi Cancer Institute and Research Center) में बाल चिकित्सा हेमाटोलॉजी एवं ऑन्कोलॉजी (Pediatric Hematology and Oncology) की निदेशक डॉ गौरी कपूर (Dr Gauri Kapoor) का कहना है कि बच्चों और बड़ों में होने वाले कैंसर अलग-अलग होते हैं. कैंसर के प्रकार और उपचार के लिए दी गई प्रतिक्रिया और इलाज दर के स्तर पर इनमें अंतर होता है. बच्चों में ल्यूकेमिया, ब्रेन एवं स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर, लिंफोमा और रोटिनोब्लास्टोमा के मामले पाए जाते हैं.
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बच्चों में कैंसर बहुत तेजी से फैलता है, लेकिन अगर सही समय पर इसका पता चल जाए और सही इलाज मिले तो कीमोथैरेपी (chemotherapy) से नतीजे अच्छे मिलते हैं और इलाज दल भी अच्छी होती है. उन्होंने कहा कि ये भ्रम है कि बच्चों में होने वाला ब्लड कैंसर लाइलाज है. बच्चों में ज्यादातर एएलएल यानी एक्यूट लिंफोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia) ब्लड कैंसर होता है और इलाज की आधुनिक पद्धतियों के माध्यम से एएलएल के 80 प्रतिशत मामले इलाज के योग्य होते हैं.
जेनेटिक नहीं है 90% कैंसर के मामले
डॉ गौरी कपूर (Dr Gauri Kapoor) के अनुसार, बच्चों में होने वाले कैंसर को लेकर एक भ्रम ये भी है कि ये कैंसर अनुवांशिक यानी जेनेटिक होते हैं, जबकि सच है कि कैंसर डीएनए में बदलाव के कारण होते हैं. लेकिन, बच्चों में होने वाले 90 प्रतिशत से ज्यादा कैंसर के मामले अनुवांशिक नहीं होते हैं और इसलिए ये कैंसर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में नहीं पहुंचते हैं.
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बच्चों में रिकवरी अच्छी
वहीं राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (Rajiv Gandhi Cancer Institute and Research Center) के डॉक्टर पंकज गोयल (Dr Pankaj Goyal) का कहना है कि बच्चों में कैंसर के मामले में रिकवरी अच्छी हो सकती है. उनका कहना है कि बच्चों में कैंसर होने के पीछे जींस (Genes) भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अगर पेरेंट के जींस में कुछ गड़बड़ है तो बच्चों में भी उसका खतरा बना रहेगा. हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि पेरेंट्स को कैंसर नहीं होता, लेकिन बच्चों को हो जाता है.
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