Monday, February 21, 2022
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कितना खतरनाक है देर रात तक मोबाइल चलाना? इस रिसर्च ने उड़ाए लोगों के होश


कोविड महामारी के दौरान लोगों को नींद न आने की बीमारी यानी अनिद्रा की शिकायत बढ़ी गई है. ज्यादातर लोग या तो पूरा टाइम वेब शोज और ऑनलाइन फिल्में देख रहे हैं या फिर सोशल मीडिया पर स्क्रॉल कर रहे हैं. लंबे समय तक यही रूटीन फॉलो करने पर इसका असर शरीर पर भी पड़ता है.

रिसर्च में क्या है? 
‘जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च’ नाम से प्रकाशित एक रिसर्स में सामने आया है कि सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग से नींद पर बुरा प्रभाव पड़ता है. रिसर्च के मुताबिक, किसी व्यक्ति का सोने से पहले बिस्तर पर फिल्में, टेलीविजन या YouTube वीडियो देखना, इंटरनेट ब्राउज करना या संगीत सुनना मानसिक और शरीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए अत्यधिक हानिकारक है. 

फोन-सोशल मीडिया का अत्याधिक उपयोग हानिकारक
इस स्टडी में 58 वयस्कों लोगों की दिनचर्या को दर्ज किया गया. एक डायरी में उन्होंने अपने सोने से पहले सोशल मीडिया पर बिताए गये समय, मोबाइल- इंटरनेट के इस्तेमाल की जगह और मल्टीटास्किंग से संबंधित जानकारी दर्ज की. इसके बाद उन लोगों पर इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी टेस्ट किया गया. यह एक डिवाइस है जिसके द्वारा मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि का पता लगाते हैं. इससे व्यक्ति के सोने का समय, कुल सोने का समय और नींद की गुणवत्ता जैसे पैरामीटर के आधार पर तथ्य इकट्ठा किये जाते हैं. इस रिसर्च में बिस्तर पर मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर गंभीर बातें सामने आईं.

बिस्तर पर हाथ में मोबाइल लिये सोशल मीडिया या इंटरनेट पर बिताया गया समय अर्ली बेड यानी सोने से पहले के समय में जोड़ा जाता है, अगर व्यक्ति बिस्तर पर जाने से पहले सोशल मीडिया या मोबाइल का इस्तेमाल करता है तो उसे मल्टीटास्किंग माना जाएगा. वहीं बिस्तर पर मोबाइल लैपटॉप में मूवी-वीडियो देखने के समय को बेड टाइम और नींद की गुणवत्ता से जोड़ा जाता है. इससे व्यक्ति के कुल सोने के समय (Sleep Cycle) का प्रतिशत निकालते हैं.

देर रात मोबाइल चलाने वाले को इन बीमारियों का खतरा
इससे आप ऐसे समझ सकते हैं कि सोशल मीडिया का बहुत देर तक उपयोग आपके स्लीप टाइम और कम नींद मिलने से जुड़ा है. वहीं सोने से पहले जो आप सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं उससे आपकी नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है. साथ ही इसके शरीर पर भी गंभीर परिणाम दिखते हैं. आंखों में थकान, तनाव, एंजायटी, ब्रेन स्ट्रोक, आई स्ट्रेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. पूरा दिन थकान महसूस होना. नींद पूरी न होने के कारण लोग ब्लड-प्रेशर, शुगर लेवल बढ़ने जैसी बीमारियों के शिकार होते हैं. चेहरे पर तनाव बढ़ने से झुर्रियां, आंखों के नीचे काले धब्बे आदि पड़ जाते हैं.

इस मुद्दे पर डेलावेयर विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक मॉर्गन एलिथोरपे ने कहा है, “लोगों को बिस्तर पर सोने से पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल, टीवी देखना, संगीत सुनना आदि कम से कम या लिमिटेड टाइम के लिए करना चाहिए. इससे आपकी नींद की गुणवत्ता बेहतर होगी और स्लीप साइकल पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेंगे.”

सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल न करें
मानव शरीर के लिए 8 घंटे की नींद बेहद जरूरी बताई गई है. डॉक्टरों के मुताबिक, सोते समय हमारे शरीर की मरम्मत होती है. हमारे शरीर और मन दोनों के लिए भरपूर नींद मिलना आवश्यक है. ऐसे में लोगों को सोते वक्त मोबाइल के इस्तेमाल और सोशल मीडिया स्क्रॉल जैसी बुरी आदतों को छोड़ना चाहिए. सोने से पहले मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें. पूरा समय स्क्रीन पर देखते रहने से आंखों में डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या हो सकती है जो आपके लिए ब्लर विजन या अंधापन का कारण बन सकता है. इसका हमारे शरीर पर भी बुरा असर पड़ता है.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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