Kidney Health: किडनी का काम हमारे शरीर में लगी छन्नी की तरह होता है. ये हमारे शरीर में खून को साफ करने और गंदगी को दूर करने का काम करती है. हमारी बॉडी में बनने वाले वेस्ट मैटीरियल को फिल्टर कर मूत्रमार्ग के जरिये निकलाने का महत्वपूर्ण काम किडनी के जरिये होता है. अगर शरीर में किडनी की फंक्शनिंग बिगड़ जाए तो हम कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. किडनी अगर काम करना बंद कर देती है तो आदमी की जान तक चली जाती है. ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि किडनी से जुड़ी किसी भी समस्या को हल्के में न लिया जाए और उसका सही तरीके से इलाज किया जाए.
एलोपैथिक इलाज पद्धति (allopathic treatment) में किडनी का कोई प्रभावी इलाज नहीं है, यहां अंतत: मामला डायलसिस या फिर किडनी के ट्रांसप्लांट पर आकर टिक जाता है. लेकिन किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए आयुर्वेद उम्मीद की नई किरण साबित हो सकता है.
आर्युवेद में दिख रही है उम्मीद की किरण
दैनिक जागरण अखबार में छपी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के पांच मेडिकल जर्नल में छपी रिसर्च रिपोर्ट से ये साबित हो चुका है कि आयुर्वेद में दी गई जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से न सिर्फ लंबे समय तक किडनी को हेल्दी रखा जा सकता है बल्कि ये किडनी की खराब हो चुके सेल्स को भी ठीक करने में प्रभावी हैं. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पुनर्नवा, गोक्षुर, वरूण, गुडुची, कासनी, तुलसी, अश्वगंधा तथा आंवला जैसी 20 आयुर्वेदिक बूटियां किडनी फंक्शन को दुरुस्त करने में सफल है.
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क्या कहती है रिसर्च
रिपोर्ट के अनुसार, किडनी डिजीज को लेकर हुई स्टडी से ये पता चला है कि इसकी मुख्य वजह ऑक्सीडेटिव और इंफ्लामेंट्री स्ट्रेस (Oxidative and inflammatory stress) है. आपको बता दें कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस तब होता है जब शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट और फ्री रेडिकल तत्वों का तालमेल बिगड़ जाता है. इससे शरीर में पैथोजन के खिलाफ लड़ने की क्षमता घटने लगती है. जबकि इंफ्लेमेंट्री स्ट्रेस बढ़ने से भी शरीर का इम्यून सिस्टम किसी भी बीमारी के खिलाफ नहीं लड़ पाता है. इसका किडनी के सेल्स पर एडवर्स इफैक्ट यानी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वो डैमेज होने लगती है.
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एलोपैथी में इन डैमेज सेल्स को दुरुस्त करने का कोई इलाज नहीं है और बीमारी बढ़ने पर किडनी फेल होने का खतरा रहता है. इसके बाद मरीज को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करना मजबूरी बन जाता है. आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यदि समय रहते आयुर्वेदिक दवाओं को शुरू किया जाए तो किडनी को न सिर्फ फेल होने से बचाया जा सकता है, बल्कि उसके खराब सेल्स की हेल्थ के ठीक होने से डायलिसिस की जरूरत भी धीरे-धीरे कम होने लगती है.
20 जड़ी-बूटियों से बनाई गई है नीरी KFT
आयुष मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि 20 जड़ी-बूटियों को मिलाकर नीरी केएफटी (Neeri KFT) नाम की एक आयुर्वेदिक दवा विकसित की जा चुकी है, जो बाजार में उपलब्ध भी है. इस आयुर्वेदिक दवा के प्रभावों को लेकर कई वैज्ञानिक अध्ययन भी हो चुके हैं. दुनिया के पांच मेडिकल जर्नल, साइंस डायरेक्ट, गूगल स्कालर, एल्सवियर, पबमेड और स्प्रिंजर में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार नीरी केएफटी का समय रहते इस्तेमाल किडनी को फेल होने से बचाने में सफल है और इसके सेवन से मरीजों में क्रेटिनिन, यूरिया और यूरिक एसिड की मात्रा कम होने की पुष्टि हुई है.
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