नई दिल्ली. देश में बढ़ती हुई पेट्रोल की कीमतों से लोगों का खर्च काफी बढ़ गया है. यही कारण है कि अब बहुत से लोग अपने चार पहिया वाहनों में CNG या LPG किट लगाने लगे हैं. ये ना केवल डीजल और पेट्रोल से सस्ती हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती है.
देश में सीएनजी के पंपों की संख्या में बढ़ोतरी ने भी सीएनजी किट लगवाने के प्रचलन को बढ़ावा दिया है. लेकिन, सीएनजी और एलपीजी किट लगवाने वाले अधिकतर वाहन मालिक वाहन के ईंधन तकनीक में बदलाव करने से, गाड़ी के इंश्योरेंस (Motor Insurance) पर पड़ने वाले प्रभाव से अनजान हैं. वे अपनी गाड़ी में हुए इस अहम बदलाव की जानकारी भी इंश्योरेंस कंपनी को नहीं देते, जो कि देना बेहद जरूरी है. अगर आपने भी सीएनजी या एलपीजी किट लगवाई है तो आपको भी कुछ कागजात संबंधी काम जरूर कर लेने चाहिए. तो आइये जानते हैं कि क्या करना है आपको.
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आरसी में जरूर दर्ज कराएं
जब भी हम अपने वाहन में अलग से CNG या LPG किट लगवाते हैं तो हम ऐसा करते समय हम वाहन की ईंधन तकनीक बदल रहे होते हैं. ऐसे में वाहन हमें CNG या LPG किट लगवाने से पहले स्टेट ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में डीजल या पेट्रोल की जगह सीएनजी या एलपीजी दर्ज कर लेना चाहिए. इसके लिए आपको आरसी बुक, इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी, LPG और CNG किट की इन्वॉइस और वाहन मालिक का केवायसी जैसे कागजात आरटीओर ऑफिस में देने होते हैं. एक फॉर्म भरने के बाद विभाग द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है और ईंधन तकनीक में बदलाव की चेकिंग कर अप्रूव कर दिया जाता है तथा आरसी में सीएनजी तथा एलपीजी, जो भी किट लगी है, उसे दर्ज कर दिया जाएगा.
इंश्योरेंस में भी कराना होगा बदलाव
वाहन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (vehicle registration certificate) में सीएनजी या एलपीजी दर्ज होने के बाद आपको अपने वाहन की इंश्योरेंस कंपनी को भी बताना होगा कि आपने वाहन के ईंधन तकनीक में बदलाव किया है. इसके लिए वाहन मालिक को कुछ सेल्फ अटेस्टेड डॉक्यूमेंट जमा करने होते हैं जिनमें आरटीओ द्वारा दोबारा जारी की गई आरसी बुक, LPG या CNG किट की इन्वॉइस और पूरी तरह भरा हुआ फॉर्म शामिल हैं. सभी दस्तावेजों का सत्यापन हो जाने के बाद इंश्योरेंस कंपनी द्वारा जरूरी एंडोर्समेंट किया जाता है और अंत में वाहन मालिक को इंडोर्स की हुई इंश्योरेंस पॉलिसी भेजी जाती है.
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इसलिए है जरूरी
अगर आपने इंश्योरेंस कंपनी को ईंधन तकनीक में बदलाव की जानकारी नहीं दी है और आपकी कार दुर्घटनाग्रसत हो जाती है तो बीमा कंपनी आपको क्लेम देने से इंकार कर सकती है. इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि CNG कार में पेट्रोल/डीजल कार की तुलना में जोखिम अधिक होता है. कार के बीमा का प्रीमियम बहुत-सी चीजों पर निर्भर करता है. इसमें IDV, कार के इंजन की क्यूबिक कैपेसिटी, ईंधन एवं कई अन्य चीजें शामिल हैं. इनमें से बहुत सी चीजें आप बीमा कराते वक्त भी चुनते हैं. बीमा करते वक्त एक शर्त यह भी होती है कि वाहन में किसी भी तरह के बदलाव की जानकारी बीमा कंपनी को देनी होती है.
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