Tuesday, April 5, 2022
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कम रिस्क वाली डिलीवरी में जन्म के समय नवजात को एंटीबायोटिक जरूरी नहीं – स्टडी


Infant Doesn’t need antibiotics at birth : आमतौर पर अस्पतालों में नवजात बच्चों को जन्म के तुरंत बाद एंटीबायोटिक (Antibiotic) दिए जाते हैं, लेकिन एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि सभी बच्चों को इनकी जरूरत नहीं होती है. अमेरिका के सीएचओपी (CHOP) यानी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया ( Children’s Hospital of Philadelphia) के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी में कहा गया है कि बिना जटिल सिजेरियन प्रक्रिया (uncomplicated cesarean delivery) या बिना प्रसव पीड़ा के जन्मे और जिनमें संक्रमण की संभावना न हो, ऐसे नवजात बच्चों को जन्म के तुरंत बाद एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘पीडीऐट्रिक्स (Pediatrics)’  जर्नल में प्रकाशित किया गया है. आपको बता दें नवजात शिशुओं को अर्ली-ऑनसेट सेप्सिस (EOS) होने का खतरा होता है, जो एक जानलेवा संक्रमण है जो जन्म के 72 घंटों के भीतर हो सकता है, ये बर्थिंग प्रोसेस (जन्म लेने की प्रक्रिया) के दौरान बैक्टीरिया के संपर्क में आने के कारण होता है. हालांकि, ईओएस किस नवजात को होगा, इसका अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है. विशेषज्ञों का मानना है कि नजवात बच्चों में एंटीबायोटिक का लंबा इस्तेमाल संभावित दीर्घकालिक परेशानियों सहित अन्य गंभीर विपरीत नतीजों से जुड़ा हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार
इस स्टडी के मेन राइटर और सीएचओएपी (CHOP) के नियोनेटोलॉजिस्ट (neonatologist) डॉ डस्टिन डी. फ्लैनरी (Dustin D. Flannery) का कहना है कि नवजात बच्चों में जन्म के साथ ही रोगाणुता (germs) की शुरुआत होने की आशंका के चलते उन्हें जन्म के तुरंत बाद एंटीबायोटिक देने में कुछ भी हैरत करने वाला नहीं है. हालांकि, हमारी स्टडी बताती है कि समय पूर्व जन्मे बच्चों सहित कम जोखिम भरी डिलीवरी से जन्मे बच्चों को एंटीबायोटिक नहीं दी जानी चाहिए.

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ऐसे नवजातों में जन्म के वक्त संक्रमित होने की संभावना नहीं है और ऐसा करके इन्हें सिस्टमैटिक एंटीबायोटिक एक्सपोजर (systemic antibiotic exposure) की संभावित कॉम्प्लिकेशंस से बचाया जा सकता है.

कैसे हुई स्टडी
क्योंकि नवजात डिलीवरी के दौरान ही बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, तो रिसर्चर्स ने ये देखने के लिए कि क्या वे ईओएस (EOS) के कम जोखिम वाले नवजातों की पहचान कर सकते हैं, उन्होंने डिलीवरी से जुड़े लक्षणों का विश्लेषण करने का फैसला किया. एक पूर्वप्रभावी अध्ययन (retrospective study) में उन्होंने 2009 से लेकर 2014 के बीच फिलाडेल्फिया (Philadelphia) के दो अस्पतालों में जन्मे उन सभी नवजात बच्चों का आंकलन किया, जिनका जन्म के 72 घंटे के भीतर ब्लड टेस्ट किया गया था.

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रिसर्चर्स ने  इंफेक्शन और डिलीवरी से जुड़े लक्षणों की पुष्टि के लिए मेडिकल रिकॉर्ड डेटा की पड़ताल की. इस दौरान सिजेरियन, मातृ अंतर्गर्भाशयी संक्रमण (Maternal Intraamniotic Infection) या गर्भस्थ शिशु की बीमारी को (Fetal Distress) ‘कम जोखिम भरा’ के रूप में वर्णित किया गया.

स्टडी में क्या निकला
इस स्टडी में पाया गया कि कुल 7,549 नवजात बच्चों का कल्चर या ब्लड टेस्ट किया गया था और इनमें से 1,121 (14.8 फीसदी) कम रिस्क वाली डिलीवरी के जरिये जन्मे थे, जबकि 6,428 (85.2 %) का जन्म जोखिम भरे प्रसव (Risky Delivery) से हुआ था. हालांकि, कम जोखिम वाले प्रसव से जन्में नवजातों में ईओएस नहीं हुआ. इसके बावजूद इनमें से 80 फीसदी को एंटीबायोटिक दिये गए.
फ्लैनरी ने कहा कि हमारा शोध दिखाता है कि इन नवजातों में से एक बड़े वर्ग में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होनी चाहिए थी.

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