Saturday, January 1, 2022
Homeराजनीतिकभी शरद पवार ने किया था भाजपा के साथ गठबंधन, फिर BJP-NCP...

कभी शरद पवार ने किया था भाजपा के साथ गठबंधन, फिर BJP-NCP गठजोड़ का ऑफर क्यों ठुकराया ? | Why Sharad Pawar Rejected the BJP Offer to tie up in 2019? | Patrika News


वर्ष 2019 के महाराष्ट्र (Maharashtra) के विधानसभा चुनाव में एनसीपी (NCP) को खत्म माना जा रहा था, परंतु अपनी एक स्पीच से शरद पवार (Sharad Pawar) ने स्थिति ही बदल दी। विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, परंतु एनसीपी किंगमेकर बनकर उभरी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। शरद पवार ने कहा है कि दो वर्ष पहले पीएम मोदी (Narendra Modi) ने महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने का ऑफर दिया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। यदि हम शरद पवार के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो पाएंगे कि कभी शरद पवार ने महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन किया था, अब सवाल तो उठते हैं कि आखिर 2019 में ऐसा क्यों नहीं किया? इसका जवाब है शरद पवार की ‘पावर’ कंट्रोल की रणनीति जिसे हमेशा ही पवार ने सबसे ऊपर रखा है।


1985 में किया था गठबंधन
भले ही वर्ष 2019 में NCP और बीजेपी के बीच गठबंधन नहीं बन सका था, परंतु वर्ष 1985 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी और शरद पवार की पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस (सोशलिस्ट) और जनता पार्टी ने गठबंधन किया था। इस गठबंधन को प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट का नाम दिया गया था जिसमें जनता पार्टी भी शामिल थी। ये गठबंधन भी इसलिए संभव हुआ था क्योंकि तब भाजपा की स्थिति महाराष्ट्र में काफी खराब थी और वो शरद पवार के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा बनी थी।

इस गठबंधन ने 284 सीटों पर चुनाव भी लड़ा था, परंतु केवल 103 सीटें हासिल कर सकी थी। इसके बाद शरद पवार राज्य में नेता प्रतिपक्ष बने थे। उस समय भी शरद पवार ने बड़े भाई की भूमिका निभाई थी, परंतु 2019 की स्थिति काफी अलग थी।

यह भी पढ़ें

PM मोदी की एक क्वालिटी के मुरीद हुए शरद पवार, कहा- ये मनमोहन सिंह में नहीं थी


2019 में क्यों ठुकरा दिया था ऑफर?
वर्ष 2019 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में एनसीपी को खत्म माना जा रहा था, परंतु अपनी एक स्पीच से शरद पवार ने स्थिति ही बदल दी। विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, परंतु एनसीपी किंगमेकर बनकर उभरी। शिवसेना के साथ चल रहे विवाद के बीच भाजपा और एनसीपी के गठबंधन की अटकलें तेज थी। 20 नवंबर 2019 को शरद पवार की पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात ने इन अटकलों को और बल दिया था।

कहा जा रहा था कि ये भाजपा थी जो गठबंधन के लिए प्रयास कर रही थी, परंतु पवार की नजर ‘पावर’ पर थी जो शायद भाजपा के साथ जाने में नहीं मिलती। यदि एनसीपी भाजपा के साथ जाती तो भाजपा बड़े भाई की भूमिका में होती और यही बात शायद शरद पवार को हजम नहीं हो रही थी।

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में कुल 277 सीटों में से बीजेपी को 103, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कॉंग्रेस को 44 सीटें मिली थी। तब किंगमेकर की भूमिका निभाते हुए शरद पवार शिवसेना और कांग्रेस को एक मंच पर ले आए और सरकार बना ली। इस नए गठबंधन की सरकार में यदि किसी को सबसे अधिक लाभ हुआ तो वो शरद पवार हैं।

कांग्रेस और शिवसेना की विचारधारा में जमीन आसमान का अंतर था, परंतु ब्रिज का काम किया शरद पवार ने। ये गठबंधन हुआ और महाराष्ट्र में महाविकस आघाडी की सरकार बनी। कुर्सी पर भले ही उद्धव ठाकरे बैठे, परंतु शरद पवार के हाथ में रीमोट माना जाता है।

बता दें कि शरद पवार ने दावा करते हुए कहा है कि ‘यह सच है कि दोनों पार्टियों (भाजपा और NCP) के बीच गठबंधन को लेकर बात हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें इस बारे में सोचना चाहिए, पर मैंने उनसे कहा था कि यह संभव नहीं है और मैं इस मामले में अंधकार में नहीं रखना चाहता।’

हालांकि, भाजपा ने इसे आधी अधूरी जानकारी करार दिया है। फिर भी इससे एक बात तो स्पष्ट है कि शरद पवार बड़ी पिक्चर देख रहे थे जो भाजपा के साथ संभव नहीं थी। शरद पवार ने रणनीति के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाई और आज भी इसे वैचारिक टकराव के बावजूद टिकाए रखा है।

यह भी पढ़ें

शरद पवार का केंद्र पर हमला, कहा- एजेंसियों का हो रहा दुरुपयोग





Source link

Previous articleआखिर क्यों है हिन्दुओ की मनाही मक्का मदीना में (Mystery Of Mecca Madina)
Next articleकेएल राहुल ने साल 2021 को भारतीय टीम के लिए बताया बेमिसाल
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular