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हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा को बहुत विशेष महत्व प्रदान किया गया है। गोवर्धन पूजा में पशु धन का पूजन किया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी पुकारा जाता है। सनातन धर्म में गाय को धन की देवी मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है इसलिए इस दिन गाय और बछड़ों की विशेष पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस पर्व की शुरुआत द्वापर युग में हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार गोवर्धन की पूजा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से बचने के लिए गोकुल वासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था, जिससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई और इंद्रदेव का घमंड भी टूट गया। तभी से इस पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है।
गोवर्धन पूजा कब है?
गोवर्धन पूजा दिवाली पर्व मनाने के अगले दिन की जाती है। इस अवसर पर मथुरा में लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं। इस दिन लोग परंपरा के तहत घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बना कर उसका पूजन करते हैं। गोवर्धन पर अन्न और नई फसल की भी पूजा कि जाती है। इसी कारण इसे अन्नकूट भी कहा जाता है।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
गोवर्धन की पूजा प्रात:काल में की जाती है। इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। इस अवसर पर पूजा करने से पहले गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत को बना कर उसकी पूजा करनी चाहिए। पूजा से समय गोवर्धन पर्वत पर अन्न,खील, लावा, मिष्ठान आदि का भोग लगाना चाहिए। पंचांग के अनुसार 05 नवंबर 2021, शुक्रवार को प्रतिपदा तिथि को प्रात: 02 बजकर 44 मिनट शुरू होगी और रात्रि में 11 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. गोवर्धन की पूजा 5 नवंबर को ही मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त –
प्रात: 06 बज के 36 मिनट से प्रात: 08 बज के 47 मिनट तक ।
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट्स
द्यूत क्रीड़ा शुक्रवार, नवम्बर 5, 2021 को
गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त – दोपहर 03 बज के 22 मिनट से शाम 05 बज के 33 मिनट तक.
गोवर्धन पूजा विधि
इस दिन गोवर्धन पर्वत, गाय, भगवान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। ऐसे में सुबह सूर्योदय से पहले उठाकर स्नान कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का निर्माण करें और उसे फूलों से सजाएं, पर्वत के बीच में एक मिट्टी के मटके में दूध, दही, बताशे आदि डालकर रख दें तथा पूजा करने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित करे दें। पूजा के दौरान गोबर द्वारा बनाए गोवर्धन पर्वत पर धूप, दीप आदि जलाएं। बता दें कि गोवर्धन पूजा प्रातः काल और सायं काल दोनों में की जाती है। गोवर्धन का पूजन करें के बाद पर्वत की परिक्रमा लगाएं।पूजा के दौरान गोवर्धन पर्वत के पास भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा जरूर स्थापित करें।
गोवर्धन पूजा के दौरान ये कार्य न करें
1. गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा को बंद कमरे में ना करें। क्योंकि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पूजा खुले स्थान पर ही की जाती है।
2.इस दिन गायों की पूजा करते समय भगवान श्री कृष्ण और अपने ईष्ट देवता की पूजा करना बिल्कुल भी न भूलें।
3.इस अवसर पर भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन न करें।
4. मैले वस्त्र धारण करके गोवर्धन की परिक्रमा ना करें।
5.परिवार के सभी सदस्यों एक जगह पर एकत्रित हो कर एक साथ गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए।
6.इस अवसर पर पूजा के दौरान परिवार का कोई भी सदस्य काले या नीले रंग का वस्त्र न धारण करें।
7.इस अवसर पर किसी भी पशु,पक्षी को नहीं सताना चाहिए।
8.इस दिन किसी भी वृक्ष को ना काटना चाहिए न उखाड़ना चाहिए।
9.गोवर्धन पूजा के अवसर पर घर में क्लेश करने से बचना चाहिए।
10. इस अवसर पर किसी भी बूढ़े बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए।
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