Wednesday, November 10, 2021
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कठपुतली नहीं बने चरणजीत सिंह चन्नी, अब नवजोत सिंह सिद्धू का कुर्सी के लिए नया ड्रामा


पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए नवजोत सिंह सिद्धू अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, और वो चरणजीत सिंह चन्नी को सबसे बड़ी बाधा के रूप में देख रहे हैं।

कुर्सी के लिए कोई नेता किस हद तक जा सकता है इसे समझना है तो पंजाब के राजनीतिक गणित को समझना आवश्यक है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी से हटाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू कभी अपने करीबी रहे चरणजीत सिंह चन्नी को रास्ते से हटाने के लिए आये दिन कोई न कोई नया हथकंडा अपना रहे हैं। अब नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार पर निशाना साधा है। चरणजीत सिंह चन्नी ने भी सिद्धू की हरकतों पर आपत्ति जताई है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह के बीच की कलह खुलकर सामने आयी तो इन दोनों नेताओं के बीच सुलह के लिए पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने बैठक बुलाई जो बेनतीजा साबित हुई है।

चन्नी पर सिद्धू के आरोप

दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू ने 2015 के बेअदबी मामले पर एक बार फिर से प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिद्धू ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाये जाने के सवाल पर कहा, “मेरे साथ गलत बात मत करो। चन्नी को सीएम बनाने के पीछे मेरा कोई हाथ नहीं था। चन्नी को कांग्रेस हाईकमान ने सीएम बनाया है।”

इसके बाद सिद्धू ने चन्नी सरकार को घेरते हुए कहा, “6 महीने में तीसरी SIT बनाई जा चुकी है, लेकिन अभी तक 2015 बेअदबी मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गयी है। अथॉरिटी की नैतिकता अब सवालों के घेरे में है। चन्नी सरकार ने एजी व डीजीपी पद पर ऐसे लोगों की नियुक्ति की है जिन्होंने पंजाब के साथ धोखा किया है। एक ने सुखबीर बादल को क्लीन चिट दी और दूसरे ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को ब्लैंकेट बेल दिलवाई। मैं पजाब के साथ खड़ा हूं।”

क्या है बेअदबी मामला?

बेअदबी मामला साढ़े पांच साल पुराना है। वर्ष 2015 में 1 जून को पंजाब के बरगाड़ी से लगभग 5 किमी दूर गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में स्थित गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप (प्रति) चोरी हो गए थे। इसके बाद 25 सितंबर 2015 को बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के पास पंजाबी भाषा में हाथ से लिखे दो पोस्टर लगे मिले थे। इस पोस्टर में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया था और धमकी दी गई थी कि पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को सड़कों पर फेंक दिया जाएगा। यही नहीं श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूपों की चोरी में डेरा का हाथ होने की बात भी लिखी गई थी।

इस घटना के 17 दिन के बाद ही 12 अक्टूबर को गुरुद्वारे में माथा टेकने गए लोगों को आसपास नालियों और सड़क पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूप के पन्ने मिले थे। इस मामले पर कोई एक्शन लिया जाता उससे पहले ही सिख संगठनों के नेताओं ने बरगाड़ी और कोटकपुरा की मुख्य चौक पर विरोध प्रदर्शन किया और बड़ी संख्या में सिखों द्वारा पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और गिरफ्तारी की मांग की गई।

14 अक्टूबर 2015 को कोटकपुरा चौक और कोटकपुरा बठिंडा रोड स्थित गांव बहबल कलां में प्रदर्शन कर रही भीड़ को काबू में करने के लिए पंजाब पुलिस ने फायरिंग कर दी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों घायल हो गये थे। उस समय सुमेध सैनी पुलिस बल के प्रमुख थे जिस कारण वो कटघरे में आ गये, परंतु सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सैनी के खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचे जाने की बात पर विचार किया और सैनी के संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। ये मामला पंजाब के लिए आज भी सिरदर्द बना हुआ है, और इसी मामले को हथियार बनाकर सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी से हटाया और अपने वफदार चन्नी को सीएम बनाने के लिए जोर दिया।

कठपुतली नहीं बने चन्नी तो चिढ़े सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू शुरू से ही पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ थे क्योंकि वो सत्ता में अपनी नहीं चला पाते थे। चूँकि सिद्धू कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीब थे, इसलिए उन्होंने अमरिंदर को पंजाब की सीएम की कुर्सी से हटाने के लिए खूब हाथ-पाँव मारा जिसमें चरणजीत सिंह चन्नी ने उनका पूरा साथ दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद सिद्धू राज्य के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, परन्तु पाकिस्तान के प्रति सिद्धू के प्रेम ने सभी किये कराये पर पानी फेर दिया। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिस कारण कांग्रेस हाई कमान ने पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया, परन्तु सिद्धू के मन में कुछ और ही था। नाराज नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने के लिए पार्टी ने उनके करीबी चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का नया मुख्यमंत्री बनाया और सिद्धू को लगा कि वो चन्नी के कंधे पर बन्दुक रख अपना राजनीतिक दांव खेलेंगे। चन्नी खुद को एक बेहतर सीएम साबित करना चाहते हैं, इसलिए चन्नी ने कठपुतली बनने से इंकार कर दिया और ऐसे निर्णय लिए जो सिद्धू को रास नहीं आये। एजी और डीजीपी की नियुक्ति भी उसी का हिस्सा है जिसके बाद सिद्धू ने चन्नी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।

सिद्धू की नजर कुर्सी पर

नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी के निर्णय के विरोध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। अब इस इस्तीफे को वापस लेते हुए सिद्धू ने अल्टीमेटम दिया है। सिद्धू ने कहा है कि जब तक शीर्ष सरकारी वकील APS देओल को हटाया नहीं जाता, तब तक वह वापस नहीं आएंगे। वास्तव में नवजोत सिंह सिद्धू इस्तीफा देकर कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाना चाहते थे और चरणजीत सिंह चन्नी को अपनी ताकत दिखाना चाहते थे, परन्तु चुनावों के पास होने के कारण कांग्रेस हाईकमान ने कोई रिस्क नहीं लिया। अंततः सिद्धू को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए विवश होना पड़ा।

नवजोत सिंह सिद्धू की नजर पंजाब की कुर्सी पर है, परन्तु इमरान खान से मित्रता और बाजवा से उनके लगाव ने उनके सपनों पर पानी फेरने का काम किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री पद के लिए नवजोत सिंह सिद्धू अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं और वो चरणजीत सिंह चन्नी को सबसे बड़ी बाधा के रूप में देख रहे हैं।





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