When Should Change Bed-Sheet: हम में से शायद ही कोई हो जो सोने के लिये अपने बिस्तर पर चादर यानी बेडशीट (Bed-sheet) का इस्तेमाल न करता हो पर हम उसे कितने दिनों में बदलते हैं यह बात भी काफी मायने रखती है. क्योंकि अगर हम बहुत दिनों तक एक ही बेडशीट इस्तेमाल करते रहते हैं, तो यह हमारी सेहत के लिये बहुत हानिकारक (Harmful) हो सकता है. दरअसल, बेडशीट भले ही ऊपर से बिलकुल साफ नज़र आ रही हो पर कुछ दिनों में ही तमाम धूल, बैक्टीरिया, तेल और हमारे ही शरीर से निकले डेड-सेल्स उस पर जमा हो जाते हैं. जो हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी (Immunity) को कमजोर करने के अलावा अन्य बहुत से रोगों का कारण बन सकते हैं. इससे जुड़े कई रिसर्च वैज्ञानिकों द्वारा किये जा चुके हैं जिनसे यह बात साबित हुई है.
कई लोग हर दूसरे दिन बेडशीट बदल लेते हैं तो कई लोग महीनों तक एक ही बेडशीट इस्तेमाल करते रहते हैं. पर यह आदत हमारी सेहत पर भारी पड़ सकती है. अब सवाल ये है कि बेडशीट कितने समय बाद बदल लेनी चाहिये ताकि हम इन दिक्कतों से बचे रह सकें. तो आइये जानते हैं इसके बारे में.
कितने दिनों में बदलते रहना चाहिये बेडशीट (When to change bedsheet)
जानकारों का मानना है कि हमारी बेडशीट पर तरह-तरह के बैक्टीरिया करीब एक हफ़्ते यानी सात दिनों के भीतर ही जमा होने लगते हैं. इसलिये कायदे से हमें हर सप्ताह अपनी बेडशीट बदल ही लेनी चाहिये. पर अगर किसी कारण से हम ऐसा नहीं कर पाते तो भी पंद्रह दिन में बेडशीट जरूर बदल लेनी चाहिये. इसके लिये महीनों तक इंतज़ार नहीं करना चाहिये.
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समय से बेडशीट न बदलने पर होने वाली दिक्कतें
समय से बेडशीट न बदलते रहने पर हमें सेहत से जुड़ी तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इससे हमें खासतौर पर निमोनिया और गोरोनिया के अलावा सर्दी, फ्लू, अस्थमा या सांसों से जुड़ी दूसरी दिक्कतों के साथ ही एलर्जी, मुहांसे और एग्जिमा भी होने का ख़तरा बढ़ सकता है. वहीं समय से बिस्तर की चादर यानी बेडशीट न बदलने पर हमें नींद से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है. ज़ाहिर है कि हमें वक़्त-वक़्त पर बेडशीट बदलते रहने को लेकर लापरवाही कभी नहीं करनी चाहिये. क्योंकि इससे हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती है जो आगे कई रोगों को दावत दे सकती है. हमें भूलना नहीं चाहिये कि हाल ही में आये कोरोना काल के संकट के दौरान अपनी इम्यूनिटी को दुरुस्त रखने की हिदायतें विशेषज्ञों और सरकार की तरफ से मिल चुकी हैं. यह संकट अब भी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है. ऐसे में अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को कमजोर होने देना हमारे लिये काफी घातक सिद्ध हो सकता है.
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क्या कहते हैं शोध और रिसर्च
एक्सपर्ट्स का मानना है कि धूल और बैक्टीरिया के अलावा हमारे शरीर से रोजाना हजारों की संख्या में निकलने वाले डेड-सेल्स भी बेडशीट पर जमा होते रहते हैं. इसमें बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया भी पाये जाते हैं. जो हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी ‘इम्यून-सिस्टम’ को कमजोर करने के साथ ही हमें बीमार भी बना सकते हैं. एक रिसर्च के दौरान पाया गया कि करीब एक माह तक इस्तेमाल की गई बेडशीट पर काफी मात्रा में बैक्टेरॉयड्स जमा थे. जो निमोनिया, गोनोरिया या फिर एपेंडिसाइटिस की वज़ह बन सकते हैं. इसके अलावा इस बेडशीट पर गले में संक्रमण पैदा करने वाले फ्यूसोबैक्टीरिया भी पाये गये. जिससे लेमियरे सिंड्रोम और दूसरी बीमारियां भी होती हैं. इसलिये ज़ाहिर है कि इन तमाम रोगों और सेहत संबंधित दूसरी परेशानियों से बचे रहने के लिए हमें हर सप्ताह अपनी बेडशीट बदल लेनी चाहिये.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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