Omicron is not too dangerous: कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन इस महामारी के खात्मे की वजह बनेगा. इसे लेकर वैज्ञानिकों ने राहत भरी खबर दी है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, ओमिक्रॉन के तेज फैलाव से डरने की जरूरत नहीं है, बस सावधानी बरतने की जरूरत नहीं है. कहा जा रहा है कि इस वैरिएंट की वजह से ही कोरोना महामारी का अंत होगा. एक्सपर्ट्स दावा कर रहे हैं कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन फेफड़ों में काफी धीमी गति से फैलता है, बस आपको सावधानी बरतने और कोविड गाइडलाइंस का पालन करते रहना है.
आइए जानते हैं कि ओमिक्रॉन को लेकर वैज्ञानिकों का क्या कहना है….
द गार्जियन की एक रिपोर्ट में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और ब्रिटिश सरकार के जीव विज्ञान सलाहकार सर जॉन बेल के हवाले से लिखा गया है कि ‘ओमिक्रॉन से अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन यह अपेक्षाकृत कम खतरनाक है और लोग इस संक्रमण से जल्दी उबर रहे हैं. सर जॉन बेल ने बताया कि ओमिक्रोन के संक्रमण में अस्पताल में भर्ती रहने का औसतन समय तीन दिन ही है.’ हालांकि विशेषज्ञ लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.
ओमिक्रॉन के लक्षण बदन दर्द और सिर दर्द
कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पता चला. रायटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी डॉक्टर्स का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के लक्षण काफी हल्के हैं और घर पर भी मरीज ठीक हो सकता है. डॉक्टर्स ने बताया कि ओमिक्रॉन के मरीजों में सामान्य तौर पर बदन दर्द और सिर दर्द के लक्षण देखे गए हैं और यह सामान्य वायरल इंफेक्शन जैसे ही हैं.
जल्द खत्म हो सकती है कोरोना महामारी!
आउटलुक इंडिया ने मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा के हवाले से बताया कि कोरोना वायरस के म्यूटेशन का पैटर्न स्पेनिश फ्लू के पैटर्न से मिलता दिख रहा है. उन्होंने बताया कि स्पेनिश फ्लू का संक्रमण भी दो साल में कमजोर हो गया था और फिर यह खत्म हो गया था. स्पेनिश फ्लू की भी दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक रही थी और तीसरी लहर में संक्रमण की दर बेहद कम रही थी और फिर यह गायब हो गया था. कुछ ऐसा ही पैटर्न कोरोना महामारी में भी देखने को मिल रहा है.
ये कोरोना महामारी के अंत की शुरुआत?
डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा ने बताया कि जिस तरह से ओमिक्रॉन वैरिएंट, डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा खतरनाक नहीं लग रहा है, उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि यह कोरोना महामारी के अंत की शुरुआत हो सकती है. इसी रिपोर्ट में एम्स के डॉक्टर संजय राय बताते हैं कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके तहत कोई भी वायरस अपने सर्वाइवल के लिए अपने संक्रमण की प्रकृति को कम करता जाता है. इसी तरह स्पेनिश फ्लू, स्वाइन फ्लू और H1N1 वायरस के साथ भी हुआ है.
फेफड़ों में 10 गुना धीमा ओमिक्रॉन
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. राम एस. उपाध्याय के मुताबिक ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से काफी अलग है. डेल्टा फेफड़ों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाता है, जबकि ओमिक्रॉन श्वासनली में रुककर अपनी संख्या को बढ़ाता है. ओमिक्रॉन जब तक फेफड़ों में पहुंचता है, तब तक इसकी स्पीड 10 गुना कम हो जाती है. इसलिए मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती.
70 फीसदी के करीब आबादी वैक्सीनेटेड
गौर करने वाली है कि हमारे देश में बड़ी आबादी कोरोना वायरस की चपेट में आ चुकी है और साथ ही 70 फीसदी के करीब आबादी को कोरोना की वैक्सीन भी लग चुकी है. ऐसे में भारतीयों के शरीर में प्राकृतिक और वैक्सीन के जरिए आर्टिफिशियल, दोनों तरह की इम्यूनिटी मौजूद है. ये भी एक बड़ी वजह है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत में ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगा!
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.
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