यह भी आरोप लगाया गया है कि ऑस्ट्रेलियाई यूजर्स को धोखा देने के लिए अपराधियों ने फेसबुक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया और उन्हें रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाकर फेसबुक आपराधिक रूप से लापरवाह था। फॉरेस्ट ने इससे पहले फेसबुक से अनुरोध किया था कि वह उसके प्लेटफॉर्म में इन्वेस्टमेंट प्लान्स को प्रमोट ना होने दे। इसके लिए कदम उठाए। नवंबर 2019 में फॉरेस्ट ने इस संबंध में मार्क जुकरबर्ग को एक ओपन लेटर भी लिखा था। इसी के बाद मुकदमे का फैसला लिया गया।
फेसबुक की मेटा ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि उसने ऐसे एडवरटाइजमेंट को प्रदर्शित होने से रोकने के लिए हमेशा काम किया है और एडवरटाइजर्स को ब्लॉक भी किया है।
मुकदमे में कहा गया है कि मार्च 2019 से फेसबुक पर ऐसे विज्ञापन दिखाई दिए हैं, जिनमें फॉरेस्ट की छवि का इस्तेमाल करते हुए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश योजनाओं को बढ़ावा देने का दावा किया।
एक बयान में फॉरेस्ट ने कहा कि यह कार्रवाई उन आस्ट्रेलियाई लोगों की ओर से की जा रही है, जो अपनी बचत इकट्ठा करने के लिए पूरी जिंदगी काम करते हैं। ऑस्ट्रेलियाई कानून के तहत किसी विदेशी कॉर्पोरेशन के निजी अभियोजन के लिए देश के अटॉर्नी जनरल की सहमति चाहिए होती है।
अटॉर्नी-जनरल ने फेसबुक के खिलाफ निजी अभियोजन के लिए अपनी सहमति दे दी है। प्रिंसिपल स्टीवन लुईस इस मामले में फॉरेस्ट की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। अटॉर्नी जनरल के ऑफिस ने इस मामले में मांगे गए कमेंट का तुरंत कोई जवाब नहीं दिया। अगर फेसबुक को इस मामले में दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन आरोपों में से हरेक पर अधिकतम 126,000 AUD (लगभग 67.12 लाख रुपये) का जुर्माना लगेगा। 28 मार्च से इस मामले की सुनवाई शुरू होगी। पिछले साल सितंबर में भी फॉरेस्ट ने कैलिफोर्निया के सुपीरियर कोर्ट में फेसबुक के खिलाफ एक अलग सिविल केस फाइल किया था।
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