SpaceX ने कहा कि Starlink ने इन सैटेलाइट्स को ‘एज-ऑन (कागज की एक शीट की तरह)’ उड़ाने की कोशिश की, ताकि कम से कम अवरोध हो सके। लेकिन अब यह लग रहा है कि अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने के बजाए करीब 40 सैटेलाइट फिर से प्रवेश करेंगे या पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर चुके हैं।
हालांकि SpaceX ने कहा है कि इन सैटेलाइट्स की दूसरे सैटेलाइट्स से टकराने की संभावना शून्य है। वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करने पर ये खत्म हो जाएंगे, जिसका मतलब है कि कोई मलबा नहीं बनेगा और सैटेलाइट का कोई हिस्सा पृथ्वी से नहीं टकराएगा।
स्टारलिंक को पूरी तरह से फंक्शनल बनाने के लिए SpaceX की योजना पृथ्वी की कक्षा में 12,000 सैटेलाइट्स लॉन्च करने की है। कंपनी ने दो हजार से ज्यादा सैटेलाइट के टार्गेट को पार कर लिया है। ऐसे में 40 सैटेलाइट्स को खोने से कंपनी की योजना पर बहुत असर नहीं पड़ेगा। फिर भी यह नुकसान पूरी लॉन्च क्षमता के बराबर है।
SpaceX ने बताया है कि 4 फरवरी को आए तूफान का सैटेलाइट्स पर काफी असर पड़ा। वहीं, आने वाले हफ्तों में और अधिक लॉन्च होने की संभावना है, ताकि कंपनी जल्द 12,000 मिनी-सैटेलाइट के टार्गेट तक पहुंच सके। हाल ही में कंपनी ने उन इलाकों में अपने कस्टमर्स के लिए ‘प्रीमियम’ सर्विस का ऐलान किया है, जहां यह ऑपरेट कर रही है। कंपनी ने कहा है कि इस सर्विस के तहत यूजर्स को ज्यादा स्पीड के साथ ब्रॉडबैंड सर्विस मुहैया कराई जाएगी।
प्रीमियम सर्विस के साथ स्टारलिंक यूजर्स को 150-500 Mbps डाउनलोड स्पीड और 20-30ms की लेटेंसी दी जा सकती है। लेटेंसी उस वक्त को कहते हैं, जितनी देर में डेटा सिग्नल A से B पॉइंट तक पहुंचता है और फिर पॉइंट A पर वापस आ जाता है। इसे मिलीसेकंड (ms) में मापा जाता है। ज्यादा लेटेंसी का मतलब है डेटा ट्रांसमिशन में देरी। लेटेंसी जितनी कम होगी, उतना तेज इंटरनेट चलेगा।