मार्केट रिसर्च फर्म Counterpoint के अनुसार, चौथी तिमाही में कंपनी की सेल्स बढ़कर लगभग 23 लाख यूनिट्स पर पहुंच गई, जो इससे पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक है। चौथी तिमाही में इसका रेवेन्यू 2.09 अरब डॉलर (लगभग 15,651 करोड़ रुपये) रहा। सैमसंग का रेवेन्यू लगभग 2 अरब डॉलर (लगभग 14,976 करोड़ रुपये) का था। Counterpoint टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च के रिसर्च हेड, Neil Shah ने कहा, “Apple के लिए भारत में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है। महामारी के दौरान भी कस्टमर्स प्रीमियम फोन्स पर खर्च करने के लिए तैयार थे क्योंकि लोगों के लिए उनके डिवाइसेज बहुत जरूरी हैं।”
चौथी तिमाही में चीन की Xiaomi ने 93 लाख और दक्षिण कोरिया की सैमसंग ने लगभग 72 लाख स्मार्टफोन्स बेचे। एपल को 2018 में भारत में अपने कई सीनियर एग्जिक्यूटिव्स के इस्तीफा देने से झटका लगा था। इसके अलावा कंपनी की सेल्स में भी गिरावट आई थी और इसके रिटेल पार्टनर्स ऑनलाइन डिस्काउंट का विरोध कर रहे थे। एपल ने 2018 में लगभग 18 लाख यूनिट्स बेची थी। हालांकि, इसके बाद से कंपनी ने अपनी स्ट्रैटेजी में बड़ा बदलाव करते हुए देश में अपना ऑनलाइन स्टोर खोला और iPhone की लोकल मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की थी। कंपनी की योजना कई शहरों में खुद के रिटेल स्टोर्स खोलने की भी है।
एपल को भारत में कुछ अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इसके मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन की वर्कर्स के साथ खराब व्यवहार के कारण कड़ी निंदा हो रही है। इसके अलावा कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने ऐप स्टोर की फीस को लेकर एक जांच शुरू की है। कंपनी का भारत में मार्केट शेयर बढ़ने के बावजूद यह सिंगल डिजिटल में ही है। दिसंबर तिमाही में एपल का मार्केट शेयर पांच प्रतिशत से कुछ अधिक रहा। कंपनी के बड़े मार्केट्स में अमेरिका और चीन शामिल हैं।
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