Sunday, March 27, 2022
Homeखेलएकनाथ सोलकर: जिसकी फील्डिंग से खौफ खाती थीं विरोधी टीमें, झोपड़ी से...

एकनाथ सोलकर: जिसकी फील्डिंग से खौफ खाती थीं विरोधी टीमें, झोपड़ी से निकलकर बने महान फील्डर


नई दिल्ली. क्रिकेट के खेल में जितनी अहमियत गेंदबाजी और बल्लेबाजी की है, उतनी ही अहम फील्डिंग भी है. खासकर कैचिंग. तभी तो कहा जाता है कैच लपको, मैच जीतो (Catches Win Matches). ऐसा कई मुकाबलों में देखा भी गया है, जब एक कैच पकड़कर किसी टीम ने मैच अपनी मुठ्ठी में कर लिया या कैच छूटने के कारण मैच हाथ से फिसल गया. भारतीय क्रिकेट में ऐसे ही एक खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने बल्लेबाजी, गेंदबाजी से ज्यादा पहचान एक फील्डर के रूप में बनाई. इस खिलाड़ी की फील्डिंग से विरोधी टीम खौफ खाती थी. इस खिलाड़ी का नाम था एकनाथ सोलकर (Eknath Solkar Birth Anniversary). उनका जन्म आज ही के दिन 1948 में हुआ था. आज के मुंबई शहर में.

आमतौर पर क्रिकेट में शॉर्ट लेग फील्डिंग करने के लिए सबसे जोखिम वाली जगह मानी जाती है. क्योंकि यहां फील्डर बल्लेबाज के सबसे करीब होता है और शॉट मारने की सूरत में फील्डर के चोटिल होने की आशंका भी सबसे ज्यादा रहती है. लेकिन सोलकर कभी इससे डरे नहीं और अपने क्रिकेट करियर के काफी बड़े हिस्से में उन्होंने शॉर्ट लेग पर ही फील्डिंग की. वह फील्डिंग के दौरान बल्लेबाज के इतने करीब खड़े होते थे कि कई बार बल्लेबाज को उनकी चिंता सताने लगती थी. लेकिन सोलकर सालों-साल इसी पोजीशन पर फील्डिंग करते रहे.

यह भी पढ़ें:हरभजन सिंह सहित ये क्रिकेटर भी राजनीति में आजमा चुके हैं हाथ, कोई पास तो कोई हुआ फेल

हरभजन सिंह की बीजेपी…कांग्रेस में शामिल होने की उठी बात, आखिर कैसे ‘आप’ के हो गए?

क्लोजिंग फील्डिंग से बनाई पहचान
अगर आप आंकड़े देखें, तो आज भी सोलकर टेस्ट के बेस्ट फील्डर हैं. उन्होंने 27 टेस्ट में 53 कैच लपके. यह किसी फील्डर जो विकेटकीपर नहीं रहा है और जिसने 20 से ज्यादा टेस्ट खेले हों, के लिए सर्वश्रेष्ठ रेशियो है. इसके बाद बॉब सिंपसन ने 62 टेस्ट में 1.77 प्रति मैच के औसत से 110 कैच पकड़े हैं. एकनाथ का औसत करीब दो कैच प्रति मैच है.

वेस्टइंडीज और इंग्लैंड पर पहली जीत के हीरो
साल 1970-71 में जब भारत ने वेस्टइंडीज को पहली बार हराया था, तो पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए उस मुकाबले में सोलकर ने 6 मैच पकड़कर तब के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की थी. इसी साल उन्होंने अपनी क्लोज कैचिंग के दम पर भारत की इंग्लैंड के खिलाफ पहली टेस्ट और सीरीज जीत में अहम भूमिका निभाई थी. तब उन्होंने ओवल टेस्ट में 44 रन बनाने के साथ 3 विकेट झटके थे और तीन कैच भी लपके थे.

एक कमरे की झोपड़ी में परिवार के साथ रहते थे
सोलकर के लिए भारतीय टीम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा. वो बेहद गरीब परिवार से आते थे. उनके पिता बॉम्बे के हिंदू जिमखाना मैदान में ग्राउंड्समैन थे. वो मैदान पर ही एक कमरे की झोपड़ी में अपने पिता और पांच भाई-बहनों के साथ रहते थे. उनके एक भाई अनंत ने भी प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला. उन्होंने नेट्स में अपनी गेंदबाजी से बॉम्बे के खिलाड़ियों को प्रभावित किया और धीरे-धीरे खुद को एक ऑलराउंडर के रूप में स्थापित कर लिया. फिर उन्हें बॉम्बे के लिए डेब्यू का मौका मिला. उन्होंने बॉम्बे के लिए 1966-67 में अपने रणजी ट्रॉफी डेब्यू पर 38 रन देकर 6  विकेट लिए थे और 1969 में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया.

गरीबों के गैरी सोबर्स कहलाते थे
कुछ लोग उन्हें ‘गरीबों का सोबर्स’ भी कहा करते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि वो निचले क्रम में आकर बल्लेबाजी करते थे और सोबर्स की तरह ही मीडियम पेस और स्पिन गेंदबाजी करना जानते थे. सोलकर 28 वर्ष के थे, जब उन्होंने अपने 27 टेस्ट में से आखिरी मैच खेला था. उन्होंने अपने करियर में 25 से ज्यादा की औसत से 1068 रन बनाए थे. उन्होंने एक शतक और 6 अर्धशतक लगाए. सोलकर ने भारत के लिए 7 वनडे भी खेले. इसमें उन्होंने 27 रन बनाए. उन्होंने टेस्ट में 18 और वनडे में 4 विकेट लिए.

Tags: Indian Cricket Team, On This Day, Team india



Source link

  • Tags
  • bishen singh bedi
  • cricket news in hindi
  • Eknath Solkar
  • Eknath Solkar birth anniversary
  • Eknath solkar test career
  • indian cricket team
  • On This Day In Cricket
  • Who is eknath solkar
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular