उत्तराखंड कांग्रेस के खेमे में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद से ही अंदरुनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव के बाद कांग्रेस ने स्थानीय संगठन में बदलाव भी किए,लेकिन बगावती सुर अब भी थम नहीं रहे हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही कई विधायक कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी कांग्रेस चुनौतियों का सामना कर रही है। पार्टी का अंदरुनी कलह थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्थानीय संगठन में बदलाव के बाद तो कांग्रेस खेमे में बगावत की चिंगारी को और हवा मिल गई है। कई विधायकों के बागी सुर सुनाई दे रहे हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष का नाम सामने आने के बाद पार्टी में कथित तौर पर अंदरूनी कलह शुरू हो गया है। इस बीच खबर आर रही है कि कांग्रेस के कई विधायक नाराजी के चलते जल्द ही पार्टी छोड़ सकते हैं।
कांग्रेस के इस संगठन की जंबो कार्यकारिणी, सबको साधा
ये विधायक चल रहे नाराज
राजनीतिक गलियारों में जिन कांग्रेस विधायकों के नाराज चलने या फिर बगावत की बात सामने आ रही है उनमें हरीश धामी, मनोज तिवारी, मदन बिष्ट, मयूख महर, खुशाल सिंह, ममता राकेश, विक्रम नेगी और राजेंद्र भंडारी समेत कुछ और नेता प्रमुख रूप से शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो 10 के आस-पास विधायक चल्द ही कांग्रेस का हाथ छोड़ने को तैयार भी हो गए हैं।
ये है पूरा मामला
बताया जा रहा है कि, ये सभी नेता पार्टी हाई कमान के फैसले से नेता नाराज हैं। संगठन में हुआ बदलाव इन नेताओं मंजूरी नहीं है। नेताओं ने कहा है कि हाइ कमान के संगठन में इस तरह के बदलाव के फैसले से कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी है। जमीनी स्तर पर काम करने में भी समस्याएं आएंगी।
उत्तराखंड कांग्रेस में इनको मिली बड़ी जिम्मेदारी
बता दें कि पार्टी आला कमान ने हाल ही में करन महारा को कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष, यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष वहीं भुवनचंद कापड़ी को उपनेता प्रतिपक्ष बनाया है। ये तीनों नेता कुमांऊ से आते हैं, इसलिए गढ़वाल से कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा खेमा नाराज चल रहा है।
दरअसल हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में 70 सीटों में से 47 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली थी।
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