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जब सूर्य देव धनु से मकर राशि में जाते है तोह इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। शाश्त्रो के अनुसार इस दिन से ऋतू में परिवर्तन दिखाई देने लगता है और साथ ही अच्छे दिनों की भी शुरुआत हो जाती है। वदो में सूर्य और शनि का सम्बन्ध पिता और पुत्र का बताया गया है। इस दिन सूर्य और शनि एक दूसरे के समीप आ जाते है। परन्तु इस बार बुध के होने से यह बुधादित्य योग और त्रिग्रह योग एक साथ मना रहा है जो की अत्यंत शुभ योग है।
बुधादित्य योग
वैदिक ज्योतिष के शुभ योगों में बुधादित्य योग की चर्चा सर्वाधिक सुनने में आती है। ज्योतिषीय परिभाषा के अनुसार जब किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य और बुध एक ही घर में बैठे हों तो इसे संयुक्त रूप से बुधादित्य योग कहा जाता है। इस शुभ योग के प्रभाव से जातक अत्यंत बुद्धिमान, चतुर होता है। उसके जीवन में धन संपदा की कोई कमी नहीं रहती और वह पद-प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त करता है। लेकिन इसके लिए जरूरत है अन्य ग्रह जैसे बृहस्पति, शुक्र आदि भी शुभ स्थिति में हो। बुधादित्य योग का प्रभाव कुंडली के अलग-अलग भावों में अलग-अलग मिलता है।
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