बीमारी के मारे, ये सितारे/सुरेंद्र अग्रवाल: साल 2002 से साल 2009 तक छोटे पर्दे पर ‘कुमकुम- एक प्यारा सा बंधन’ सीरियल के द्वारा एक्ट्रेस जूही परमार ने काफी लोकप्रियता हासिल की. उन्होंने भारतीय घरों में टीवी के नाम कुमकुम से पहचाना जाने लगा. इन्हीं जूही परमार ने कई साल तक थायरॉइड की बीमारी (Juhi Parmar suffered Thyroid problem) झेली है. जिसके कारण उनका वजन इतना बढ़ गया था कि वह अपना चेहरा तक ढंग से नहीं पहचान पाती थी. इसके साथ ही, उन्हें अपनी आवाज में भी बदलाव साफ नजर आता था. इस बारे में Bigg Boss 5 विजेता ने अपने ऑफिशियल अकाउंट पर वीडियो जारी की थी.
Juhi Parmar Suffered Thyroid: थायरॉइड की बीमारी क्या है?
हमारे गले में तितली के आकार की एक ग्रंथि मौजूद होती है, जिसे थायरॉइड ग्लैंड कहते हैं. यह ग्लैंड थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन करती है, जो सभी मेटाबॉलिक प्रोसेस के लिए जिम्मेदार होता है. जब थायरॉइड ग्लैंड शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन कम या ज्यादा करने लगती है, तो थायरॉइड की बीमारी विकसित होती है. यह बीमारी ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है.
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Types of thyroid: थायरॉइड बीमारी के प्रकार
वेबएमडी के मुताबिक, थायरॉइड की बीमारी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है. जैसे-
हाइपर थायरॉइडिज्म- इस प्रकार में थायरॉइड हॉर्मोन का अत्यधिक उत्पादन होने लगता है.
हाइपो थायरॉइडिज्म- थायरॉइड बीमारी के इस प्रकार में शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन बहुत कम होने लगता है. जूही परमार को भी थायरॉइड के इसी प्रकार की समस्या थी.
Symptoms of Thyroid Problem: थायरॉइड के लक्षण
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, थायरॉइड के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं. जैसे-
हाइपरथायरॉइडिज्म के कारण
- चिंता, चिड़चिड़ापन
- नींद ना आना
- वजन घटना
- थायरॉइड ग्लैंड का बड़ा आकार
- कमजोर मांसपेशी
- अनियमित मासिक धर्म
- नजर की रोशनी कमजोर होना
हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण
- थकान
- वजन बढ़ना
- भूल जाने की समस्या
- हैवी पीरियड्स होना
- रूखे बाल
- आवाज में बदलाव
- ठंड ना लगना
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Thyroid Treatment: थायरॉइड का इलाज
थायरॉइड की बीमारी में हॉर्मोन का लेवल कंट्रोल करने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं. जैसे-
हाइपरथायरॉइडिज्म का इलाज
एंटी-थायरॉइड ड्रग्स- थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन रोकने वाली दवाएं
रेडियोएक्टिव ऑयोडीन- यह इलाज थायरॉइड ग्लैंड की सेल्स को डैमेज कर देता है, ताकि थायरॉइड हॉर्मोन का अत्यधिक उत्पादन ना हो पाए
बीटा ब्लॉकर्स- यह दवाएं थायरॉइड हॉर्मोन का लेवल नहीं बदलते, लेकिन उसके लक्षणों को कम करते हैं
सर्जरी- इसमें थायरॉइ ग्लैंड निकाल दी जाती है और जिंदगीभर थायरॉइड रिप्लेसमेंट हॉर्मोन पर रहना होता है
हाइपोथायरॉइडिज्म का इलाज
थायरॉइड रिप्लेसमेंट मेडिकेशन- यह दवा शरीर में फिर से थायरॉइड हॉर्मोन को जोड़ने का मानव निर्मित तरीका है. जिसके बाद सामान्य जिंदगी व्यतीत की जा सकती है.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.