Bloomberg News की रिपोर्ट के अनुसार, ‘Ford+’ कही जा रही इस योजना का उद्देश्य फोर्ड को एक टेक्नोलॉजी कंपनी के तौर पर भी आगे बढ़ाना है। फोर्ड ने पहले ही 2030 तक बैटरी डिवेलपमेंट सहित EV पर 30 अरब डॉलर (लगभग 2,24,860 करोड़ रुपये) खर्च करने की तैयारी की है। कंपनी की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स यूनिट की अगुवाई Apple और Tesla के पूर्व एग्जिक्यूटिव Doug Field कर रहे हैं, जो पिछले वर्ष कंपनी से जुड़े थे।
जनरल मोटर्स, फोर्ड और वोल्वो जैसी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियां EV सेगमेंट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। इन कंपनियों के लिए सबसे बड़ी राइवल Tesla है। फोर्ड ने अपने EV बिजनेस का एक हिस्सा अलग करने के विकल्प पर भी विचार किया है। इससे कंपनी को इनवेस्टमेंट हासिल करने में मदद मिल सकती है। कंपनी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बैटरी केमिस्ट्री और EV सॉफ्टवेयर जैसे कॉन्सेप्ट्स पर काम करने के लिए इंजीनियर्स को हायर करने की भी योजना है। फोर्ड के प्रवक्ता ने बताया, “हम कंपनी में बड़ा बदलाव करने के लिए Ford+ योजना पर आगे बढ़ रहे हैं। हमारी कोशिश कनेक्टेड, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में हिस्सेदारी बढ़ाने की है।”
इलेक्ट्रिक कारों के मार्केट में टेस्ला पहले स्थान पर है। टेस्ला को इस वर्ष EV की डिलीवरी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ने का अनुमान है। हालांकि, कंपनी का मानना है कि सप्लाई चेन से जुड़ी मुश्किलें इस वर्ष समाप्त होने की उम्मीद नहीं है। Tesla का चौथी तिमाही में रेवेन्यू वॉल स्ट्रीट के अनुमानों से अधिक रहा है। Tesla के CEO, Elon Musk ने हाल ही बताया था कि कंपनी इस वर्ष नए मॉडल्स लॉन्च नहीं करेगी। अगले वर्ष सायबरट्रक और रोडस्टर को लॉन्च करने की उम्मीद है। टेस्ला की योजना भारत में भी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री शुरू करने की है। हालांकि, कंपनी ने इसके लिए केंद्र सरकार से इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी करने का निवेदन किया है।
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