फोर्ड ने केंद्र सरकार की परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम में हिस्सा लेने के लिए आवेदन दिया था। यह आवेदन स्वीकृत हो गया है। इससे फोर्ड की भारतीय मार्केट में दिलचस्पी का संकेत मिल रहा है। इस स्कीम का उद्देश्य देश को ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के लिए आकर्षक बनाना है और इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स लगाने वाली कंपनियों को इंसेंटिव की पेशकश की जा रही है। फोर्ड के पास भारत में दो प्लांट हैं। कंपनी का कहना है कि वह इनमें से एक प्लांट का इस्तेमाल EV की मैन्युफैक्चरिंग के लिए करने की संभावना तलाश रही है। फोर्ड ने पिछले वर्ष इस मार्केट से बाहर निकलने पर कहा था कि कंपनी को लगातार नुकसान होने के कारण यह कदम उठाना पड़ा है।
हालांकि, कंपनी की अभी भारतीय मार्केट के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स डिवेलप करने की योजना नहीं है। फोर्ड ने कहा है कि इस बारे में कोई विचार विमर्श नहीं किया गया है। फोर्ड ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर फोकस करने की घोषणा की है और इस सेगमेंट के लिए 30 अरब डॉलर का बजट रखा है। कंपनी की योजना नए फुली इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड व्हीकल्स डिवेलप करने की है।
अमेरिकी कंपनी फोर्ड के लिए भारतीय मार्केट में उतरने का यह अच्छा दौर हो सकता है क्योंकि देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की संख्या बहुत कम है। हालांकि, फोर्ड को गुजरात के साणंद और चेन्नई में मौजूद अपने प्लांट्स में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए बड़े अपग्रेड करने की जरूरत होगी। अगर फोर्ड इस मार्केट में दोबारा आती है तो इससे कॉम्पिटिशन बढ़ने के साथ ही अफोर्डेबल इलेक्ट्रिक कारें भी उपलब्ध हो सकती हैं। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला ने भी भारतीय मार्केट में बिजनेस शुरू करने की योजना बनाई है। इसके लिए टेस्ला ने सरकार से इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी करने का निवेदन किया है। हालांकि, हालांकि, सरकार का कहना है कि इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने का उसका कोई इरादा नहीं है।
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