यह फैक्ट्री 1964 में खोली गई थी, जो वॉल्वो का सबसे पुराना और बड़ा कारखाना है। यहां लगभग 6,500 कर्मचारी हैं, जो रोजाना 1,250 गाड़ियों का प्रोडक्शन करते हैं।
यह इन्वेस्टमेंट वॉल्वो की इलेक्ट्रिफिकेशन रणनीति के करीब ले आया है, क्योंकि कंपनी ने स्वीडिश बैटरी मेकर नॉर्थवोल्ट (Northvolt) के साथ एक जॉइंट फैक्ट्री के निर्माण की घोषणा की है। यह गोथेनबर्ग के पास है। 3 बिलियन निवेश के हिस्से वाली यह बैटरी फैक्ट्री 3 हजार लोगों को रोजगार देगी।
साल 2019 से Volvo Cars ने खुद को सिर्फ हाइब्रिड या ऑल-इलेक्ट्रिक मॉडल बेचने तक सीमित कर लिया है। यह इलेक्ट्रिक गाड़ियों के सबसे एडवांस्ड मैन्युफैक्चरर्स में से एक है। वॉल्वो अपनी गाड़ियों में बेहतरीन सिक्योरिटी फीचर्स देने के लिए जानी जाती है। बीते दिनों रिपोर्ट आई थी कि कंपनी कथित तौर पर एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है, जिसके चलते कार मालिक अपनी कार की विंडशील्ड को इंटरैक्टिव डिस्प्ले में बदल सकेंगे।
स्वीडिश ऑटोमोबाइल दिग्गज ने इसके लिए इजराइली स्टार्टअप, Spectralics के साथ साझेदारी की है। यह टेक्नोलॉजी कार की विंडशील्ड में हेड अप डिस्प्ले (HUD) प्रदान करेगी। HUD डिस्प्ले ड्राइवर को सभी जरूरी जानकारियां, जैसे कि स्पीड, नेविगेशन, समय आदि विंडशील्ड पर दिखाएगा।
दुनिया भर में कार मैन्युफैक्चरर्स तेजी से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं। इसके लिए फैक्ट्रियों को अपग्रेड किया जा रहा है।
फ्रांसीसी कंपनी रेनॉल्ट नॉर्दर्न फ्रांस में डौई (Douai) साइट में निवेश कर रही है। इसी तरह वोक्सवैगन (Volkswagen) जर्मनी के ज़्विकौ (Zwickau) में और जापानी कंपनी निसान (Nissan) इंग्लैंड के सुंदरलैंड (Sunderland) में निवेश कर रही है।